Mothers day 2023 in Hindi | kab aur kyon manaya jata hai

हर साल मई के दूसरे रविवार के दिन  Mothers Day मनाया जाता है, इसलिए इस साल यानी 2023 में Mother’s Day 14 मई के दिन विश्व भर में मनाया जायगा।

माँ के बिना किसी का कोई अस्तित्व संभव ही नहीं हो सकता, तो ऐसे में माँ को याद करना उसकी पूजा करना न सिर्फ हमारा कर्त्वय है हमारा धर्म भी है। ये किसी एक दिन तक सिमित नहीं रखा जा सकता मगर फिर भी माँ के प्रति स्नेह और प्यार दिखाने के लिए सारी दुनिया में Mother’s Day मनाया जाता है।

कहाँ से शुरू हुई थी ये प्रथा और किसने शुरू की थी ये जानने के लिए आगे पढ़ते रहिये।

किसने की थी शुरुवात International Mother’s Day की

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कब और किसने की Mothers Day इस बात पर बहुत मतफेद हैं। एक विचार धारा ये कहती है की, माँ की पूजा करने की परंपरा पुराने ग्रीस से शुरू हुई थी दरअसल स्य्बेले एक देवी थीं जो ग्रीस के देवतों की माँ थीं उन्ही के सम्मान में ये दिन मनाया जाता है।,

एक विचारधारा यूरोप और ब्रिटेन की है जिसके अनुसार एक ख़ास रविवार के दिन माताओं का सम्मान किया जाता है जिसको Mothering Sunday कहा जाता है।

मातृ दिवस Mothers Day कई देशों में हर साल 8 मार्च के दिन मनाया जाता है।

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एन रीव्स जार्विस और जूलिया वार्ड होवे कौन थीं

क्या आपको पता है की 1907 में पहली बार Mothers Day को मानाने के लिए छुट्टी घोषित की गई थी जब एना जार्विस ने वेस्ट वर्जीनिया के ग्राफ्टन के सेंट एंड्रयूज मैथोडिस्ट चर्च में अपनी मां के लिए एक स्मारक बनवाया था। संयुक्त राज्य अमेरिका में Mother’s Day के दिन छुट्टी घोषित करने के लिए एना जार्विस ने 1905 से ही एक अभियान छेड़ रखा था इसी साल यानी 1905 में एना जार्विस की माँ की मृत्यु हो गई थी वो अपनी माँ से बहुत प्यार करती थीं उनकी माँ का नाम एन रीव्स जार्विस था।

एन रीव्स जार्विस एक सामाजिक कार्यकर्ता थीं जो अमेरिका में चल रहे गृहयुद्ध में घायल सैनकों की बहुत देखभाल की वो चाहती थीं की, सामजिक रूप से एक Mother’s Club बनाया जाए जहाँ हम स्वास्थ्य सम्बन्धी मुद्दों पर चर्चा कर सकें।

एन रीव्स के अलावा एक और सामाजिक कार्यकर्ता जूलिया वार्ड होवे भी Mother’s day का निर्माण करना चाहती थी जूलिया वार्ड होवे ने Mother’s day के आधिकारिक रूप से मान्यता मिलने से 40 साल पहले 1870 में Mother’s day की घोषणा कर दी थी 

इस दिन जूलिया वार्ड होवे ये चाहती थी की दुनिया भर की सभी माताएं को एक ऐसा मंच मिल सके जहाँ “अंतरराष्ट्रीय सवालों के सौहार्दपूर्ण समाधान, शांति के महान और सामान्य हितों” को बढ़ावा दिया जा सके।

ऐना जार्विस इस दिन को एक महत्त्वपूर्ण दिन बनाना चाहती थीं वो इस दिन माताओं को सम्मानित करना चाहती थीं क्योंकि उनका मानना था की एक माँ “वह व्यक्ति है जिसने दुनिया में आपके लिए किसी से अधिक काम किया है।”    

आधिकारिक मातृ दिवस (Mother’s Day)

बात है साल 1908 की जब यु एस कांग्रेस ने मातृ दिवस Mother’s Day के दिन आधिकारिक रूप से छुट्टी कीघोषण करने से ना सिर्फ साफ़ नकार कर दिया बल्कि उन्होंने इस बात का मज़ाक़ उड़ाते हुए कहा की अगर उन्होंने ये घोषणा कर दी तो एक दिन उन्हें सास बहु दिवस की घोषणा भी करनी पड़ जाएगी 

मगर एना जार्विस ने हार नहीं मानी वो अपने काम में लगी रही जिससे सभी अमेरिकी राज्यों ने इस दिन छुट्टी मनाई कुछ ने तो स्थानीय तौर पर आने अपने जगहों में इस दिन को मातृ दिवस Mother’s Day के तौर पर मान्यता भी दे दी

साल 1912 में Anna Jarvis ने “Second Sunday in May, Mother’s Day, Anna Jarvis, Founder” इन वाक्यों को ट्रेडमार्क करवा लिया और Mother’s Day International Association का निर्माण किया 

आखिरकार 1914 में वुडरो विलसन ने माताओं के सम्मान के लिए हर साल मई महीने के दूसरे रविवार के दिन मातृ दिवस (Mother’s Day) घोषित किया।

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कैसे मनाये मातृ दिवस (Mother’s Day)

अकसर आपने अपनी माँ के मुँह से किसी बात के जवाब में सुना होगा की आपकी ख़ुशी ही उसके लिए सबसे बड़ा तोहफा है और ये सिर्फ माँ कहने के लिए नहीं कहती सच में उसके लिए उसकी औलाद ही सब कुछ होती है ये तो रही माँ की बात

मगर हमारा धर्म है माँ को खुश रखने का हर हाल ऐसा नहीं Mother’s Day के दिन एक प्रथा के तौर पर या सोशल मीडिया पर फोटो अपडेट करने के लिए माँ को तोहफे दिए जा रहे हैं उन्हें स्पेशल फील करवाया जा रहा है और बाकी दिन वो आपकी सूरत देखने के लिए भी तरसती रहे तो सवाल है की कैसे मनायें एक यादगार  Mother’s Day

  • आपने ऐसी माँ भी देखीं होंगी जो ज़्यादा शोर-शराबा पसंद नहीं करतीं वो तो बस चाहती हैं की उनके बच्चे उनके साथ समय बिताएं तो एक दिन सारे काम काज को अलग कीजिये और अपना सारा समय अपनी माँ को दीजिये देखिये उसके चेहरे की रंगत फिर कितनी खूबसूरत है माँ आपको समझ आएगा
  • ज़िन्दगी भर आपकी माँ ने आपके खाने  पिने का ख्याल रखा ये भी ध्यान में रखा हमेशा की आपको क्या चीज़ खाने में पसंद है और क्या चींज नहीं तो आज बरी पाकि है आज उनको बिना बताये उसकी पसंद की कोई चीज़ खाने के लिए बनाइये और उनको अपने हाथों से खिलाइये उनके चेहरे की चमक जो होगी ना मेरा यकीं कीजिये ज़िन्दगी भर आप नहीं भूल सकेंगे
  •  abhi तो ऐसे हालत नहीं की कहीं घूमने फिरने की जगह जाया जाये बहुत सी जगहों पर तो लॉक डाउन भी लगा हुआ है मगर जब बी सुरक्षित हो माहौल आप अपनी माँ के साथ निकल जाइये कहीं घूमने ये ज़रूरी नहीं की उनकी कोई पसंदीदा जगह हो मगर आप अपने हिसाब से उनको लेकर जाएँ जहाँ वो खुला खुला महसूस करेंगी आपसे अगर कोई ऐसी बात है जो नहींकह पा रहीं थीं घर की चार दीवारी में तो हो सकता है वो उस दिन आपसे कह सके
  • आप उनको एक अपने हाथों से बना कार्ड भी दे सकते हैं जिसमें आप अपने शब्दों में अपनी माँ के लिए कुछ लिखे जैसे क्यों ख़ास है आपकी माँ आपके लिए आप अपनी माँ से कितना प्यार करते हैं ऐसी कुछ बाते जो उनके दिल को छू जाएँ
  • आप उनके लिए उनकी पसंद का कोई गाना गए सकते हैं जो उनको बहुत पसंद हो या जब आप छोटे थे तब आप गाय करते थे
  • आप उनकी पसंद की कोई फिल्म उनको दिखा सकते हो ना सिर्फ उनको दिखानी है आप भी उनके साथ बैठ के वो फिल्म देखें और उनसे बातें करें
Mother’s Day के लिए कुछ शायरी

मैंने रोते हुए पोंछे थे किसी दिन आँसू
मुद्दतों माँ ने नहीं धोया दुपट्टा अपना 

लबों पे उसके कभी बद्दुआ नहीं होती
बस एक माँ है जो मुझसे ख़फ़ा नहीं होती

मुझे कढ़े हुए तकिये की क्या ज़रूरत है
किसी का हाथ अभी मेरे सर के नीचे है

इस तरह मेरे गुनाहों को वो धो देती है
माँ बहुत ग़ुस्से में होती है तो रो देती है

किसी को घर मिला हिस्से में या कोई दुकाँ आई
मैं घर में सब से छोटा था मेरे हिस्से में माँ आई

ऐ अँधेरे! देख ले मुँह तेरा काला हो गया
माँ ने आँखें खोल दीं घर में उजाला हो गया

मैंने रोते हुए पोंछे थे किसी दिन आँसू
मुद्दतों माँ ने नहीं धोया दुपट्टा अपना

कुछ नहीं होगा तो आँचल में छुपा लेगी मुझे
माँ कभी सर पे खुली छत नहीं रहने देगी

बहन का प्यार माँ की ममता दो चीखती आँखें
यही तोहफ़े थे वो जिनको मैं अक्सर याद करता था

बरबाद कर दिया हमें परदेस ने मगर
माँ सबसे कह रही है कि बेटा मज़े में है

जब तक रहा हूँ धूप में चादर बना रहा
मैं अपनी माँ का आखिरी ज़ेवर बना रहा

मुक़द्दस मुस्कुराहट माँ के होंठों पर लरज़ती है
किसी बच्चे का जब पहला सिपारा ख़त्म होता है

दिन भर की मशक़्क़त से बदन चूर है लेकिन
माँ ने मुझे देखा तो थकन भूल गई है

दिया है माँ ने मुझे दूध भी वज़ू करके
महाज़े-जंग से मैं लौट कर न जाऊँगा

माँ के आगे यूँ कभी खुल कर नहीं रोना
जहाँ बुनियाद हो इतनी नमी अच्छी नहीं होती

ये ऐसा क़र्ज़ है जो मैं अदा कर ही नहीं सकता,
मैं जब तक घर न लौटूं, मेरी माँ सज़दे में रहती है

माँ  कौन है ?

दुनिया में जो कुछ भी आप देख रहे हैं उसका किसी न किसी ने निर्माण किया है, चाहे वो इंसान हों पेड़ फूल फल गाड़ियां फ़ोन कुछ भी कहीं ना कहीं सबका जन्म होता है। रूप अलग अलग  हो सकते हैं अब जब जन्म होगा तो माँ भी होगी ही बिना माँ के तो कुछ भी संभव ही नहीं। 

माँ का आदर करना हमारा धर्म तो है ही साथ ही वो हमारा कर्तव्य भी है क्यों की, अगर माँ ने हमें जन्म ना दिया होता तो भगवान् की ये खूबसूरत दुनिया हम कैसे देख पाते कैसे ज़िन्दगी के खट्टे मीठे स्वाद को हम चख पाते जो कुछ भी है उस माँ की वजह से ही है। जिसने हमें जैम दिया हमें पाला पोसा हमें अपने पैरों पर खड़ा होना सिखाया इस क़ाबिल भी बनाया की आज माँ के विषय में मैं ये आर्टिकल लिख पा रहा हूँ।

ज़िन्दगी में चाहे जो भी करो अच्छा या बुरा ये आपके अपने व्यक्तित्व और आपके कर्मों पर निर्भर हैं, मगर माँ के पास जब भी जाओ तो उसी अंदाज़ से जाओ जैसे उसका बच्चा आया हो उसके पास हमेशा उसको समय दो उससे बात करो कभी भी माँ से ऊँची आवाज़ में बात नहीं करनी चाहिए,

कहते हैं जब एक माँ बच्चे को जनम देती है तो जो उसको दर्द होता है, उस असहनीय दर्द को वो बर्दाश्त करती है ताकि अपने बच्चे को जनम दे सके उस दर्द का एहसान सारी ज़िन्दगी जन्म लेने वाले बच्चे पर होता है, 

किसी भी धर्म में आप देखेंगे की माँ को हमेशा ऊँचा स्थान मिला हुआ है चाहे हिन्दू धर्म हो इस्लाम हो सिख या ईसाई हर धर्म,

हिन्दू धर्म में माँ – हिन्दू धर्म में देवियों को माँ कहकर बुलाया जाता है जैसे काली माँ, दुर्गा मा, सरस्वती माँ, शारदा माँ, आदि

इस्लाम में माँ – इस्लाम ने भी माँ को सबसे बड़ा मुकाम दिया गया है, इस्लाम में कहा जाता है की माँ के पैरों के निचे जन्नत है

सिख धर्म में माँ – सिख धर्म में भी माँ को आला मुकाम हासिल है

ईसाई धर्म में – जैसा की आपको पता होगा मदर मेरी का क्या स्थान है क्रिश्चिनिटी में ये प्रभु यीशु की माँ थीं

देखा आपने चाहे धर्म कोई हो जगह कोई हो लोग कोई हों सभ्यता कोई हो भाषाएँ कोई हों इस सब से कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता एक शब्द माँ को माँ हर जगह हर पवित्र किताबों में पुराणों आपको मिल जाएगी हाँ माँ को माँ हम हिंदी या उर्दू में कहते हैं आइये जान लेते हैं अलग अलग भाषाओं में माँ को क्या कहकर पुकारा जाता है इंग्लिश में माँ को मदर कहा जाता है फारसी में मादर कहा जाता है चाइनीस में माँ को माकुन कहा जाता है।

Mother’s Day F&Q

भारत में मदर्स डे क्यों मनाया जाता है?

कब और किसने की Mothers Day इस बात पर बहुत मतफेद हैं। एक विचार धारा ये कहती है की, माँ की पूजा करने की परंपरा पुराने ग्रीस से शुरू हुई थी दरअसल स्य्बेले एक देवी थीं जो ग्रीस के देवतों की माँ थीं उन्ही के सम्मान में ये दिन मनाया जाता है।,

मदर्स डे कब मनाया जाता है और क्यों मनाया जाता है?

9 मई 1914 को औपचारिक रूप से पहला मदर्स डे मनाया गया. तब से हर साल ये दिन मई के दूसरे रविवार को मनाया जाता है

मदर्स डे किसकी याद में मनाया जाता है?

Mothers day in india : मदर्स डे पहली बार संयुक्त राज्य अमेरिका में 1908 में मनाया गया था. मदर्स डे पहली बार संयुक्त राज्य अमेरिका में 1908 में मनाया गया था, जब एना जार्विस ने अपनी मां एन रीव्स जार्विस की याद में एक कार्यक्रम का आयोजन किया था.

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