जावेद अख्तर की बेहतरीन शायरी की कुछ झलकियाँ
ज़रा सी बात जो फैली तो दास्तान बनी वो बात ख़त्म हुई दास्तान बाक़ी है
छोड़ कर जिस को गए थे आप कोई और था अब मैं कोई और हूँ वापस तो आ कर देखिए
दुख के जंगल में फिरते हैं कब से मारे मारे लोग जो होता है सह लेते हैं कैसे हैं बेचारे लोग
उस से मैं कुछ पा सकू ऐसी कहाँ उम्मीद थी ग़म भी शायद बराए मेहरबानी दे गया
हर खुशी में कोई कमी-सी है हंसती आंखों में भी नमी-सी है
हमको तो बस तलाश नए रास्तों की है… हम हैं मुसाफ़िर ऐसे जो मंज़िल से आए हैं…
“याद उसे भी एक अधूरा अफ़साना तोह होगा, कल रास्ते में उसने हमको पेहचाना तोह होगा.”
सँवरना ही है तो किसी की नजरों में संवरिये, आईने में खुद का मिजाज नहीं पूछा करते