हर साल के मई महीने की 8 तारीख को World Red Cross Day मनाया जाता है, आठ मई के दिन विश्व रेड क्रॉस डे मानाने के पीछे वजह ये है की इस तारीख को Red Cross Society के संस्थापक हेनरी ड्यूडेंट Henery Dunant का जन्म हुआ था, दरअसल उनके जनम दिन को ही एक तरह से World Red Cross Day के तौर पर मनाया जाता है।
जहाँ कहीं युद्ध के दौरान या उसके बाद मानव जीवन पर संकट मंडराता है, आपको एक नाम ज़रूर सुनाई देता होगा समाचारों में World Red Cross सिर्फ युद्धकाल में ही नहीं महामारियों में या किसी भी प्राकृतिक आपदा में सबसे पहले पहुँच कर लोगों की मदद करती है Red Cross Society यहीं इस संस्था का उद्देश्य भी है।
Red Cross Society की स्थापना सन 1863 में की गई थी, इस संस्था ने ये मांग की थी की 8 मई के दिन World Red Cross Day मनाया जाये इस संस्था का मुख्यालय स्विट्ज़रलैंड के जिनेवा में है आपको ज्ञात हो की पहला World Red Cross Day मई 1948 में मनाया गया था।
कौन थे हेनरी ड्यूडेंट Henry Dunant
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8 मई 1828 स्विट्ज़रलैंड के जिनेवा में हेनरी ड्यूडेंट का जन्म हुआ। ड्यूडेंट एक व्यापारी होने के साथ साथ समाजसेवी और मानवतावादी इंसान थे, इन्होने ही Red Cross की स्थापना की थी, इन्हे साल 1901 में शांति के लिए नोबल पुरूस्कार से सम्मानित किया गया।
साल 1859 में हेनरी ड्यूडेंट अपनी एक व्यापारिक यात्रा पर इटली गए हुए थे, जहाँ उनका जाना हुआ इटली के शहर सोलफिरेनो वहां उस वक़्त युद्ध चल रहा था। पहली बार ड्यूडेंट का सामना हुआ था, ऐसे किसी माहौल से जहाँ सैनिकों के मृत शरीर पड़े हुए थे, घायल सैनिक दर्द से चीख चिल्ला रहे थे। वहां उनकी देखभाल करने के लिए कोई नहीं था ये देख कर ड्यूडेंट का दिल पसीज गया।
उन्होंने अपनी इस यात्रा और अपने अनुभवों को एक किताब की शक्ल दे दी, उस किताब का नाम दिया A Memory of Solferino जिसके बाद International Committee of The Red Cross (ICRC) का 1863 में गठन हुआ।
ड्यूडेंट YMCA (Youth Man Christian ) की स्वीट्ज़रलैंड शाखा के संस्थापक भी थे।
कैसे युद्धक्षेत्र बना रेड क्रॉस के स्थापना का कारण
जैसा की हम जान गए हैं की, हेनरी ड्यूडेंट एक व्यापारी थे जो स्विट्ज़रलैंड में रहा करते थे। मगर व्यापार के लिए उनको कई बार देश के बहार भी सफर करना पड़ता था। वैसे ही एक बार साल 1859 में वो फ़्रांस के सम्राट नेपोलियन तृतीय से मिलने गए, मगर किसी वजह से उनकी मुलाक़ात सम्राट नेपोलियन से नहीं हो सकी, उन्होंने काफी कोशिश की मगर वो असफल रहे बिना उनकी अनुमति के वो वहां व्यापार नहीं कर सकते थे खैर।
सम्राट से मुलाक़ात हुई नहीं उन्होंने सोच क्यों न इटली चला जाये व्यापार के लिए, उन्होंने सफर किया इटली का जहाँ वो सोलफिरेनो शहर तक जा पहुंचे। जहाँ भयंकर युद्ध छिड़ा हुआ था। ऐसा दृश्य उन्होंने पहले कहीं नहीं देखा था, सड़कों पर गलियों में हर तरफ सैनिकों के मृत शरीर पड़े थे उनके सड़ने से पुरे माहौल में बदबू फैली हुई थी हर दिन मौतों का आंकड़ा बढ़ता ही जाता था।
कुछ सैनिक घायल भी होते थे जिनकी देखभाल करने के लिए कोई नहीं था, वहां खुले ज़ख्म दर्द चीखो पुकार का मंज़र था। ये सब देख कर ड्यूडेंट का दिल भर गया वो अपना काम भूल गए और कुछ लोगों को इकठ्ठा किया और लग गए घायल सैनिकों की सेवा में। उनका इलाज किया उन्होंने अपने पैसे लगाकर मृत सैनिकों के शवों का अंतिम संस्कार भी किया।
उन्होंने उन सैनिकों के घर वालो को चिठियाँ भी लिखी और उनको आगाह करवाया इस घटना से।
ड्यूडेंट वापस तो आ गए मगर वो मंज़र उनकी आँखों से हटा नहीं था, कहीं लाशों के ढेर तो कहीं घायलों के चीखने की आवाज़ें बहुत अंदर तक हिल गए थे, ड्यूडेंट इस घटना से फिर उन्होंने इस घटना के विषय में एक किताब लिखी उस किताब का नाम दिया उन्होंने A Memory of Solferino इस किताब में उन्होंने शब्दों के सहारे बताने की कोशिश की है उस भयानक मंज़र को जो वो सोलफिरेनो से देख कर आये थे।
इसी किताब के आखिरी पन्नों में ड्यूडेंट ने एक अंतरष्ट्रीय सोसाइटी के स्थापना का सुझाव दिया था, जो किसी आपात काल में मानवजाति के लिए निस्वार्थ ढंग से काम कर सके बिना रंग बेहद बिना किसी भेदभाव के दुनियां भर के लोगों की बिना सीमाओं के प्रतिबन्ध के सेवा और रक्षा कर सके।
रेड क्रॉस की स्थापना
सोलफिरेनो की घटना पर आधारित पुस्तक A Memory of Solferino के प्रकाशन के तीन सालों के बाद, हेनरी ड्यूडेंट के सुझाये सुझावों को गंभीरता से लिया गया। 5 सदस्यों कि एक समिति का गठन किया गया, इस समिति का मुख्य काम हेनरी द्वारा दिए गए सुझाव पर चर्चा कर एक निष्कर्ष पर पहुंचना था।
अपने गठन के कुछ महीनों बाद समिति ने एक अंतराष्ट्रीय सम्मलेन का आयोजन किया साल 1863 में, इस सम्मलेन में 16 देशों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया जहाँ सभी आये हुए अलग अलग देश के प्रतिनिधियों के सामने International Committee of The Red Cross (ICRC) का गठन किया गया और उनसे ये अपील की गई की वो भी अपने देशों में ICRC का गठन करें।
International Committee of The Red Cross (ICRC) के गठन के बाद हनेरी ड्यूडेंट ने अपना सारा जीवन मानवता की सेवा में लगा दिया, उनकी इस सेवा भावना के लिए उनको साल 1901 में उन्हें नोबल शांति पुरूस्कार से नवाज़ा गया।
रेड कोर्स के क्या उद्देश्य हैं
रेड क्रॉस संस्स्था अपने स्थापना के दिन से मानव सेवा में लगी हुई है उसका सबसे बड़ा उद्देश्य है मानवता की सेवा करना जो वो अपने शुरुवाती दिनों से लेकर आज तक करती आ रही है रेड क्रॉस के कुछ मुख्य उद्देश्य कुछ इस प्रकार हैं –
- दुनिया के सभी देशों में रेड क्रॉस को फैलाना
- सभी देशों से जिनेवा अधिवेशन स्वीकार करने के लिए राज़ी करवाना
- युद्धकाल में बंदियों की देखभाल करना और अन्य पीड़ितों की सहायता के लिए अंतराष्ट्रीय एजेंसियों का निर्माण करना
- युद्धबंदियों के रहने खाने पिने की व्यवस्था करवाना और उनके सुविधाओं का बराबर ख़याल रखना
- जब युद्धकाल न हो शांति का वातावरण हो तब देशों के बीच एक पूल की तरह काम करना और उनके बीच दूरियों को मिटाना
- किसी युद्ध किसी महामारी से में लोगों की मदद करना और दूसरों को भी ऐसा ही करने के लिए प्रेरित करना,
- किसी भी तरह का भेद भाव किसी के साथ न रखना सबकी सेवा करना और सबो इसके लिए प्रेरित करना, आदि
रेड क्रॉस का रक्तदान शिविर
आप भले ही किसी भी शहर के रहने वाले हों हर शहर में एक बात सामान्य होती है, वो है रेड क्रॉस द्वारा चलाया जाने वाला रक्तदान शिविर। ये अक्सर किसी न किसी मौके पर आयोजित किया जाता है रेड क्रॉस सोसाइटी का मुख्य लक्ष्य होता है, रक्तदान द्वारा ज़्यादा से ज़्यादा रक्त का भण्डारण करने का ताकि ज़रूरतमंद व्यक्ति को तुरंत इसको उपलब्ध करवाया जा सके और उसकी जान बचाई जा सके।
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रेड क्रॉस के अन्य काम
रेड क्रॉस मानव सेवा से जुड़े हर एक काम को करता आया है जैसे फर्स्ट ऐड दिलवाना, आपातकालीन सेवाएं, प्राकृतिक आपदाओं से बचने बचने के लिए समय समय पर वॉलेंटियर्स को ट्रेनिंग देना, रिफ्यूजी मामलों में आगे आकर काम करना की उनको रहने खाने और उनके स्वस्थ की उचित व्यवस्था करवाना।
भारत में कब हुई थी रेड क्रॉस की स्थापना
रेड क्रॉस की स्थापना भारत में साल 1920 में हुई थी, ये स्थापना भारत में पार्लियामैंट्री एक्ट के अनुसार की गयी थी। आज भारत में लगभग 700 से ज़्यादा रेड क्रॉस के ब्रांच हैं और दुनिया भर में लगभग 200 से ज़्यादा देश रेड क्रॉस सोसाइटी से जुड़े हुए हैं।
कोरोना महामारी में रेड क्रॉस की भूमिका
जिस दिन से इस संस्था का निर्माण हुआ है उस दिन से ये संस्था इंसानियत के लिए काम कर रही है, कैसा भी समय हो युद्धकाल हो शांति काल कोई प्राकृतिक आपदा आई हो हमेशा तैयार रहती है ये संस्था अपने संसाधनों और हौसलों के साथ।
Covid-19 एक ऐसी महामारी बन कर दुनिया के सामने आया की जिसने कई ज़िंदगियाँ तबाह कर दीं क्या आमिर क्या ग़रीब सब इसकी चपेट में आ गए, कोई देश दुनिया का इस बीमारी से अछूता नहीं रह सका। इस महामारी में भी रेड कोर्स सोसाइटी ने अपना कर्त्तव्य नहीं भुला ये काम करती रहीं जैसे –
- भोजन उपलब्ध करवाना ऐसे लोगों को जिनको सबसे ज़्याद ज़रूरत थी
- अपने ब्लड बैंक के ज़रिये ये सुनिश्चित करना की खून की कमी ना होने पाए
- दुनिया भर में लाखों स्वयं सेवक इस संस्था के सेवा में लगे हुए हैं
- राहत सामग्री पहुँचाना और क्यारंटीन सेवा में काम करना आदि
World Red Cross Day की थीम
2009 : Change in the Climate and it causes on the Human’s which serves as a Today’s Solferino
2010 : City
2011 : Search for the Volunteer which is inside you
2012 : Move of the Youth
2013 : Be Together for the reason of Humanity
2014 : Get Together for everyone people
2015 : Together for Humanity
2016 : Everywhere for Every People
2017 : Less Known Red Cross Stories
2018 : Memorable smiles from around the world
2019 : #Love
2020 : #keepclapping
अगर आप इंडियन रेड क्रॉस सोसाइटी के बारे में ज़्यादा जानना चाहते हैं तो उनकी वेब साइट पर जाएँ https://www.indianredcross.org/ircs/index.php
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One Comment on “world red cross day : 2021 kab aur kyon manaya jata hai”