Bhupinder Singh in Hindi | Singer Bhupender Singh

बाज़ार फिल्म का “करोगे याद तो हर बात याद आएगी” गाना आपने ज़रूर सुना होगा गुलज़ार के इन शब्दों को आवाज़ देने वाले भूपिंदर सिंह Bhupinder Singh अब हमारे बीच नहीं रहे अब सिर्फ याद और उनकी दिलकश आवाज़ ही रह गई है हमारे साथ ये और ऐसे ना जाने कितने यादगार गानों की उन्होंने अपनी आवाज़ के जादू से सजाया था

दोस्तों जैसा की आपको मालुम है की हम hindeeka में मशहूर लोगों की ज़िन्दगी की सुनी अनसुनी बातों को साँझा करते हैं अपने Visitors के साथ आअज हम बात करेंगे मशहूर ग़ज़ल गायक भूपिंदर सिंह की अफ़सोस की जब आप उनके बारे में पढ़ रहे हैं वो हमारे बीच नहीं हैं

भूपिंदर सिंह का जीवन परिचय

Bhupinder Singh Biography in Hindi

बात आज़ादी के के कुछ साल पहले 8 अप्रैल 1939 की है जब भूपिंदर सिंह Bhupinder Singh का जन्म पंजाब के पटियाला में हुआ था उनके पिता का नाम नत्था सिंह था जो की एक प्रोफेसर थे भूपिंदर सिंह का जन्म एक सिख परिवार मे हुआ था प्यार से उन्हें लोग भुप्पी भी बुलाते थे उनके पिता खुद भी एक बहुत ही अच्छे संगीतकार थे वो चाहते थे की उनका बेटा भी उनकी तरह संगीत सीखे मगर वो बहुत सख्ती से संगीत सिखाया करते थे जिसकी वजह से धीरे धीरे भूपिंदर का मन संगीत से उठाने लगा था खैर वक़्त के आगे किसकी चाली है जो भूपिंदर की चलती अब उन्हें सारी दुनियाँ इसी संगीत की वजह से ही पहचानती है

नाम भूपिंदर सिंह (Bhupinder Singh )
उपनाम भुप्पी
जन्म तिथि 8 अप्रैल 1939
जन्म स्थान पटियाला, पंजाब
निधन 18 जुलाई 2022
पिता का नाम नत्था सिंह
माता का नाम उपलब्ध नहीं
धर्म सिख
ऊंचाई 5 फीट 7 इंच

भूपिंदर सिंह का निजी जीवन

भूपिंदर सिंह Bhupinder Singh की पत्नी जो की खुद भी एक बेहतरीन गायक हैं उनका नाम मिताली सिंह है वो एक बंगलादेशी हैं दोनों ने एक से बढ़कर एक ग़ज़लों को अपनी दिलकश आवाज़ से सजाया है बहुत कोशिशों के बाद भी दोनों की कोई संतान ना हो सकी आज मिताली सिंह के पास सिर्फ भूपिंदर सिंह जी की यादें और उनकी जादुई आवाज़ ही रह गई है जिसके सहारे उन्हें बाकी की ज़िन्दगी गुजारनी है

भूपिंदर सिंह और गायकी

भूपिंदर सिंह Bhupinder Singh एक बहुमुखी प्रतिभा के धनि व्यक्ति थे वो ना सिर्फ शब्दों को अपनी जादुई आवाज़ में ढाल कर शब्दों को जैसे जीवन दे दिया करते थे साथ ही वो गिटार भी बहुत अच्छे से बजाया करते थे

पिता नत्था सिंह जी बहुत सख्त मिजाज़ इंसान थे और उसी सख्तीके साथ वो उन्हें संगीत की ट्रेनिंग दिया करते थे नन्हा भूपिंदर का पिता की सख्ती के कारण संगीत से मन भर गया एक समय ये भी आया की उनको जैसे संगीत से नफरत जी हो गई थी मगर फिर समय समय होता है उसको और कुछ मंज़ूर था धीरे धीरे भूपिंदर को संगीत में रूचि जागी और वो ग़ज़ल गाने लेगे अपने करियर की शुरुवाती दौर में वो आकाशवाणी में अपने हुनर को दुनियाँ के सामने लाते थे

आकाशवाणी से उनकी आवाज़ को पहचान मिली फिर अपनी प्रतिभा के दम पर उन्हें दूरदर्शन दिल्ली में कार्यक्रम देने का मुआक मिला तब दुनियाँ ने देखा पहली बार की इस जादुई आवाज़ के पीछे किसका चेहरा हैं संगीत में उनकी रूचि इतनी बढ़ने लगी थी की उन्होंने फिर सितार और गिटार भी बजाना सीख लिया

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भूपिंदर सिंह और बॉलीवुड

आकाशवाणी के आल इंडिया रेडियो पर भूपिंदर सिंह Bhupinder Singh की आवाज़ का जादू फैला हुआ था जिसको सुनकर साल 1968 में मशहूर संगीतकार मदनमोहन ने उन्हें बॉम्बे (मुंबई) बुलाया उन्होंने भुप्पी को हकीक़त फिल्म में गाने का पहला मौका दिया जिसमे बहुत मशहूर ग़ज़ल “होके मजबूर मुझे उसने भुलाया होगा” गया जोकि बहुत हित हुआ मगर उस समय भूपिंदर को पहचान नहीं मिल सकी क्यों की उस समय बॉलीवुड में मोहम्मद रफ़ी, माना डे आदि बड़े बड़े गायकों का दौर था मगर फिर भी भूपिंदर सिंह ने बहुत गज़लें गाई कई फिल्मों में गाने गए जो बहुत मशहूर हुए

भूपिंदर सिंह Bhupinder Singh के कुछ मशहूर गाने

फिल्म गाने
मासूम दिल ढूंढता है फिर वही
किनारा नाम गूम जायेगा
घरोंदा दो दीवाने शहर में
परिचय बीती ना बिताई रैना
बाज़ार करोगे याद तो हर बात
घरोंदा एक अकेला इस शहर में
थोड़ी सी बेवफाई आज बिछड़े हैं
ऐतबार किसी नज़र को तेरा इंतज़ार

भूपिंदर के सफलता का दौर

भूपिंदर सिंह Bhupinder Singh आर. डी. बर्मन के ऑर्केस्ट्रा में शामिल हुए और आरडी के कई महानतम गाने जैसे ‘दम मारो दम..’ और ‘एक ही ख्वाब..’ के लिए गिटार बजाया। आर डी बर्मन के साथ उनकी अच्छी दोस्ती हो गई। आरडी ने 1972 में परिचय की रिलीज़ के साथ उन्हें अपनी पहली ‘ओरिजिनल’ हिट दी। भूपिंदर ने परिचय (‘बीते ना बीताई रैना..’ और ‘मितवा बोले मीठे बाई..’) में दो गाने गाए। उन्हें देश के सभी हिस्सों से बहुत सराहना मिली। परिचय ने अपना दृष्टिकोण बदल दिया और अब उन्हें एक गंभीर आवाज के रूप में माना जाने लगा और संगीतकारों ने उन्हें गंभीरता से लिया। भूपिंदर ने अपनी गायन शैली विकसित की। गुलजार की फिल्मों ने ‘दिल ढूंढता है..’, ‘नाम गम जाएगा..’ और ‘एक अकेला इस शहर में..’ जैसे गानों के साथ उनके लिए एक जगह बनाई।

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भूपिंदर सिंह का निधन

पिछले कई दिनों से बीमार चल रहे भूपिंदर सिंह Bhupinder Singh ने 18 जुलाई 2022 की शाम 82 साल की उम्र में अपनी आखरी सांस ली उनके पेट में कैंसर की शिकायत थी और उन्हें जानलेवा कोविड-19 भी हो गया था जो उनकी मृत्यु की वजह बना और मुंबई के एक निजी हॉस्पिटल मे आज ये संगीत का एक सितारा और खो गया

भूपिंदर सिंह से जुड़े अन्य सवाल (F&Q)

भूपिंदर सिंह का निधन कैसे हुआ ?

भूपिंदर सिंह Bhupinder Singh ने 18 जुलाई 2022 की शाम 82 साल की उम्र में अपनी आखरी सांस ली उनके पेट में कैंसर की शिकायत थी और उन्हें जानलेवा कोविड-19 भी हो गया था

भूपिंदर सिंह के पिता का नाम क्या था ?

उनके पिता का नाम नत्था सिंह था जो की एक प्रोफेसर थे

भूपिंदर सिंह की पत्नी का नाम क्या है ?

भूपिंदर सिंह Bhupinder Singh की पत्नी जो की खुद भी एक बेहतरीन गायक हैं उनका नाम मिताली सिंह है वो एक बंगलादेशी हैं

भूपिंदर सिंह के कितने बच्चे हैं ?

भूपिंदर सिंह और मिताली सिंह की कोई संतान नहीं हैं

भूपिंदर सिंह का जनम कब और कहाँ हुआ था ?

8 अप्रैल 1939 की है जब भूपिंदर सिंह Bhupinder Singh का जन्म पंजाब के पटियाला में हुआ था


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