dilip kumar tragedy king biography in hindi

ऐसे तो बहुत सारे अभिनेता हैं और रहे हैं हिंदी फिल्म उद्योग में मगर जो छाप दिलीप कुमार Dilip Kumar ने छोड़ी है हिंदी फिल्मों में वो शायद आने वाली कई सदियों तक कायम रहेगी, अपने अभिनय के खास अंदाज़ के लिए जाने जाने वाे दिलीप कुमार जब किसी ऐसे व्यक्ति का किरदार निभा रहे होते थे परदे पर जो किसी दर्द या मुसीबत से गुज़र रहा हो तो देखने वालों की आँखों में आंसू आ जाते उनके इसी ख़ास अंदाज़ के लिए उन्हें Tragedy King भी कहा जाता है

दिलीप कुमार के ऐसे अभिनेता हैं  जिनकी कॉपी हर एक बड़े अभिनेता ने की है क्या अमिताभ बच्चन हो क्या शाहरूख ख़ान वो एक इंसान के रूप में चलता फिरता एक स्कूल रहे हैं अभिनेता जगत के अब हम बात करें वाले हैं उसी महान कलाकार की आइये शुरू करते हैं  

दिलीप कुमार का जीवन परिचय

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दिलीप कुमार का परिवार
दिलीप कुमार का नाम मोहम्मद युसूफ ख़ान
दिलीप कुमार के पिता लाला ग़ुलाम सरवर
दिलीप कुमार की माता आयशा बेग़म
दिलीप कुमार के भाई बहन 5 भाई और 5 बहने

 

आपको शायद नहीं पता होगा की दिलीप कुमार का नाम मोहम्मद युसूफ ख़ान है फ़िल्मी जगत में और उनके चाहने वालों के बीच उनको दिलीप कुमार के नाम से जाना जाता है। तो हम इस आर्टिकल में मोहम्मद युसूफ ख़ान को दिलीप कुमार ही कहेंगे

दिलीप कुमार का जन्म 11 दिसंबर 1922 के दिन हुआ था इनके वालिद यानी पिता जी का नाम लाला ग़ुलाम सरवर था इनकी वालिदा यानी माता जी का नाम आयशा बेग़म था इनके पिता अविभाजित भारत के क़िस्सा ख्वानी बाजार पेशावर (पाकिस्तान) के रहने वाले थे इनके 5 भाई और 5 बहने थीं

इनके पिता फलों के कारोबार करते थे इनके फलों के बगीचे थे पेशावर और नासिक के देवलाली में दिलीप कुमार की शुरुवाती पढाई लिखाई देवलाली नासिक के बार्नस् स्कूल से हुई

जब दिलीप कुमार ने घर छोड़ा

साल 1940 आते आते पिता से उनका किसी बात पर विवाद हो गया और ये विवाद इतना बढ़ा की उन्होंने फैसला कर लिया की अब वो घर पर नहीं रह सकते थे उसके बाद उन्होंने अपना घर छोड़ दिया और वो पुणे चले गए जहाँ कुछ दिन इधर उधर भटकने के बाद एक पारसी कैफे चलने वाले बुज़ुर्ग एंग्लोइंडियन जोड़े ने दिलीप कुमार की मदद की

उस मदद के सहारे वो कैंटीन चालने वाले एक ठेकेदार के सम्पर्क में आये दिलीप कुमार एक सभ्य और सुशिल नौजवान थे जिनको भाषा का अच्छा ज्ञान था वो ना सिर्फ हिंदी उर्दू बोल और पढ़ लिख सकते थे उसके साथ उन्हें इंग्लिश का भी बहुत अच्छा ज्ञान था जिसके आधार पर उन्हें आर्मी क्लब में सैंडविच स्टाल चलने की अनुमति मिल गई वहां वो तब तक काम करते रहे जब तक उनका कॉन्ट्रैक्ट khtm नहीं हुआ उसके बाद उन्होंने अपनी जमा पूंजी जो उन्होंने ने कमाई थी 5000 रूपए लेकर वापस अपने घर बॉम्बे (मुंबई) लौट आये 

किसी ने दिलीप कुमार का नाम बदला

वापस 1943 में आपने घर मुंबई आकर दिलीप कुमार अपने पिता का हाथ बटाने लगे उनके कारोबार में मगर उनका दिल वहां नहीं लगता था वो कुछ अलग काम करना चाहते थे एक बार ऐसे ही उनकी मुलाक़ात डॉ मसानी से हुई जो दिलीप कुमार को अपने साथ बॉम्बे टॉकीज़ के मालकिन और उस ज़माने की मशहूर अदाकारा देविका रानी के पास ले गए, देविका रानी ने उन्हें 1250 रूपए महीने में अपने यहाँ नौकरी दे दी

बॉम्बे टॉकीज़ में दिलीप कुमार की मुलाक़ात अशोक कुमार और फिल्म निर्माता शशधर मुखर्जी से हुई आगे चल कर तीनों बहुत अच्छे दोस्त हुए दिलीप कुमार की उर्दू बहुत अच्छी थी जिसके कारन वो कभी कभी कहानी और डायलॉग लिखने में मदद किया करते थे

देविका रानी ने मोहम्मद युसूफ ख़ान को अपना नाम बदला कर दिलीप कुमार रखने का अनुरोध किया था उनका ऐसा ख्याल था की ये नाम काफी लम्बा है जोकि दर्शकों की जुबां पर नहीं चढ़ेगा जिसके बाद मोहम्मद युसूफ ख़ान बन गए दिलीप कुमार फिर इसी नाम से साल 1944 में उनकी पहली फिल्म भी आई नाम था ज्वार भाटा इस फिल्म में दिलीप कुमार ने मुख्य अभिनेता का रोल किया था इसी फिल्म से दिलीप कुमार ने फिल्म जगत में पहला क़दम रखा

दिलीप कुमार का फ़िल्मी सफर

40 के दशक में 

साल 1944 में दिलीप कुमार की पहली फिल्म आई उस फिल्म का नाम था ज्वार भाटा, ये फिल्म दर्शकों के बीच उतनी नहीं चली जितनी उम्मदी थी दिलीप कुमार की तरफ भी किसी की नज़र नहीं पड़ी।

साल 1949 में डॉयलिप कुमार की फिल्म आई अंदाज़ इस फिल्म में उनके साथ राजकपूर और नरगिस भी थे महबूब खान की ने ये फिल्म बनाई थी इसी साल दिलीप कुमार की एक और फिल्म आई जिसका नाम था शबनम दोनों ही फ़िल्में काफी अच्छी थीं दोनों ने अच्छा कारोबार भी किया था

50 के दशक में 

दिलीप कुमार ने 50 के दशक में लगभग 18 फिल्मों में काम किया सब की सब अमूमन हिट रही ये हैं उनकी 50 के दशक में रिलीज़ हुई फिल्मों के नाम

साल 1950 में जोगन, इसी साल आई बाबुल, साल 1951 में आई हलचल, दीदार और तराना साल 1952 में संगदिल 1953 में शिकस्त, अमर 1954, साल 1955 में आन, आज़ाद, उड़न खटोला, इंसानियत और मशहूर देवदास, साल 1957 में नया दौर, यहूदी और मधुमती 1958 में साल 1959 में पैग़ाम साल 1960 में आई कोहेनूर

60 के दशक में

साल 1960 में आई मुग़ल-ए-आज़म इस फिल्म को बनाया था के आसिफ ने इस फिल्म ने इतिहास रचा इस फिल्म में दिलीप कुमार ने सम्राट अकबर के बेटे सलीम का किरदार निभाया था इस फिल्म में अकबर के रोल में थे पृथ्वी राज कपूर इस फिल्म ने अपने रिलीज़ के बाद 11 साल तक सबसे ज़्यादा पैसे कमाए थे फिल्म इतनी ज़बरदस्त थी की आज भी इसके दीवाने मिल जायेंगे आपको इसी दीवानगी को देखते हुए साल 2004 में इस फिल्म को पूरी तरह से रंगीन के फिर से रिलीज़ किया गया

साल 1961 में दिलीप कुमार ने गंगा जमुना फिल्म का निर्माण किया और इस में अभिनय भी किया ये एकलौती फिल्म थी जिसका निर्माण दिलीप कुमार ने किया साल 1964 में आई उनकी फिल्म लीडर साल 1966 में आई दिल दिया दर्द लिया साल 1967 में आई राम और श्याम साल 1968 में उनकी फिल्म आई आदमी इस फिल्म में मनोज कुमार और वहीदा रेहमान भी उनके साथ थे और इसी साल आई वैजन्तीमाला के साथ फिल्म संघर्ष

70 के दशक में

दिलीप कुमार के लिए साल 1970 कुछ ख़ास नहीं रहा इस साल उनकी फिल्म आई गोपी इस फिल्म में उन्होंने अपनी पत्नी के साथ अभिनय किया इसी साल उनकी एक मात्रा बंगाली फिल्म आई सगीना महतो इस फिल्म को हिंदी में फिर दुबारा बनाया गया और नाम रखा गया सगीना 1972 में आई फिल्म दास्तान ये बुरी तरह से पिट गई साल 1976 में उनकी फिल्म आई बैराग जो की नहीं चल सकी साल 1976 से 1981 तक उन्होंने कोई फिल्म नहीं की

80 के दशक में 

साल 1980 के दशक में दिलप कुमार फिर फिलोम में लौट आये उन्होंने 1981 में एक फिल्म की क्रांति जो इस साल की सबसे बड़ी हिट फिल्म थी इसके बाद साल 1982 में आई विधता फिर 1984 में आई मशाल इसी साल आई फिल्म वह दुनिया साल 1986 में आई धर्म अधिकारी इसी साल आई फिल्म कर्मा 

90 के दशक में 

साल 1991 में आई फिल्म सौदागर इस फिल्म में उनके साथ राजकुमार ने भी काम किया ये फिल्म बहुत चली काफी बड़ी हिट रही फिर इस दशक की आखरी फिल्म आई 1998 में  क़िला जोकि एक फ्लॉप फिल्म साबित हुई ये उनकी आखरी फिल्म थी जिसमें उन्होंने काम किया

 

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दिलीप कुमार के लव अफेयर्स

दिलीप कुमार एक कमाल के अभिनेता तो हैं ही साथ ही साथ वो आदमी भी बहुत अच्छे हैं सलीके से बात करना करीने से खुद को किसी के सामने पेश करना ये उनके व्यक्तित्व का एक हिस्सा रहा है जब ऐसा वयक्तित्व हो तो फिर कोई भी आकर्षित हो जाये आइये बात करते हैं दिलीप कुमार के प्यार के किस्सों की

कामिनी कौशल – दिलीप कुमार और कामिनी कौशल एक फिल्म में काम कर रहे थे उस फिल्म का नाम था शहीद दोनों एक दूसरे से फिल्म के सिलसिले में मिलते रहे और दोनों के बाच प्यार हो गया दिलीप कुमार जैसे पागल हो गए थे कामिनी के लिए मगर दिक्कत ये थी की कामिनी पहले से शादीशुदा थीं जिसके चलते दोनों शादी नहीं कर सके उनका पहला प्यार अधूरा ही रह गया 

मधुबाला- हँसता हुआ खूसूरत चेहरा नाम मधुबाला क्या बाला की खूबसूरती थी उनकी दिलीप कुमार को क्या किसी को भी उनसे प्यार हो जाये हुआ भी यही मगर इस प्यार का izhaar दिलीप कुमार ने नहीं बल्कि मधुबला ने किया था कहते हैं मधुबाला ने एक खत लिखा और एक गुलाब का फूल भेजा खत me लिखा की अगर ये फूल आप क़ुबूल कर लेंगे तो मैं समझूंगी आपने मुझे क़ुबूल किया दिलीप sahab ने भी bina der kiye वो फूल क़ुबूल कर लिया दोनों एक दूसरे से beintehaa प्यार किया करते थे 

दोनों शादी करना चाहते थे मगर फिल्मों की तरह एक विलन यहाँ भी था वो थे मधुबाला के पिता अताउल्लाह दिलीप कुमार और अताउल्लाह एक दूसरे को पसंद नहीं करते थे दोनों एक दूसरे को देखना तक पसंद नहीं दिलीप कुमार ने मधुबाला से शादी करने के लिए एक शर्त रखी थी की उनको अपने पिता से संबंद्ध तोड़ना होगा जिसपर मधुबाला राज़ी नहीं हुई और इनकी शादी नहीं हो सकी

सायरा बानो

दिलीप कुमार को मधुबाला के बाद कोई शायद पसंद ही नहीं आ रही थी फिर साल 1960 के ज़माने में दिलीप कुमार की मुलाक़ात अपनी उम्र से 20 साल छोटी सायरा बानो से हुई वो चाहती थीं की दिलीप कुमार उनके साथ काम करें मगर दिलीप कुमार नहीं चाहते थे उनको लगता था की परदे पर सायरा बानो के साथunki जोड़ी अच्छी नहीं लगेगी क्योंकि वो उम्र में बहुत बड़े थे उनसे अपने एक इंटरविव में सायरा बानो ने बताया था की वो जब महज़ 12 साल की थीं तभी से दिलीप कुमार को चाहती थी वो ये भी चाहती थीं की दिलीप कुमार से उनकी शादी हो जाये

दिलीप कुमार भी जानते थे की सायरा बानो उनसे प्यार करती हैं और दोनों ने साल 1966 में एक दिन चुपके से शादी कर ली जब उनकी शादी हुई थी तब दिलीप कुमार की उम्र 44 साल की थी और सायरा की 22 साल थी, सायरा बानो एक बार गर्भवती भी हुई थीं 1972 में उनके गर्भ में एक बेटा था मगर किसी कारण वाश उसे बचाया नहीं जा सका फिर उसके बाद कभी वो गर्भवती नहीं हो सकीं और दोनों बेऔलाद ही रह गए सारी उम्र

दिलीप कुमार और उनके भाई

नासिर ख़ान दिलीप कुमार के भाई थे वो भी इनका नाम भी फ़िल्मी जगत में जाना माना नाम है, अभी इस कोरोना महामारी ने उनके दो छोटे भाई को उनसे छीन लिया उनके एक भाई असलम ख़ान की 88  साल की उम्र में अगस्त 2020 में कोरोना से मृत्यु हो गई और दूसरे भाई एहसान ख़ान की मृत्यु कोरोना से 90 साल की उम्र में सितम्बर 2020 में मृत्यु हो गई

पुरस्कार एवं सम्मान

दिलीप कुमार के नाम गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड दर्ज है किसी भारतीय अभिनेता को अब तक इतने पुरस्कार नहीं मिले जितने उन्हें मिले हैं ये इस बात की दलील है की वो कितने आला दर्जे के अभिनेता रहे हैं उन्हें कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया जिसमे

  • सर्वश्रष्ठ अभिनेता के लिए 8 बार फ़िल्मफ़ेअर अवार्ड
  • फ़िल्म्फरे के लिए लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड
  • लता मंगेशकर के साथ फ़िल्मफ़ेअर अवार्ड
  • 50 वें फ़िल्मफ़ेअर पुरस्कार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के लिए फ़िल्मफ़ेअर में 19 बार नामांकन
  • 1993 में फ़िल्मफ़ेअर लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड
  • गंगा जमुना के लिए सर्वश्रेष्ठ फिल्म के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार
  • बोस्टन इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में पॉल रेवरे सिल्वर बाउल, चेकोस्लोवाक अकादमी से विशेष सम्मान डिप्लोमा भी मिला
  • पाकिस्तान के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार निशान-ए-इम्तियाज के एकमात्र भारतीय हैं
  • साल 1980 में दिलीप कुमार को मुंबई का शेरिफ नियुक्त किया गया
  • भारत सरकार ने दिलीप कुमार को साल 1991 पदम् भूषण से सम्मानित किया
  • साल 1994 में दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया
  • साल 2009 में CNN-IBN ने दिलीप कुमार को लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार दिया   
  • साल 1997 में अंधारपरदेश सरकार ने NTR राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया  
  • साल 2015 में दिलीप कुमार पदम् विभूषण से नवाज़ा गया 

दिलीप कुमार की संपत्ति

जैसा की हम जानते हैं की दिलीप कुमार एक महान अभिनेता रहे हैं उन्होंने अनगिनत हित फिल्मे दी हैं फिल्म जगत को उनके अभिनय के दीवाने लाखों की संख्या में है दिलीप साहब ने सेंडविच के स्टाल से लेकर यहाँ तक का सफर तय किया कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के हिसाब से उनकी कुल संपत्ति 624 करोड़ 63 लाख से ज़्यादा की है

दिलीप कुमार का निधन

7 जुलाई की सुबह अपने साथ एक खबर ले कर आई है जिसने करोड़ों दुनिया में फैले दिलीप साहब के फेन्स का दिल तोड़ दिया इस सुबह खुदा ने इस अज़ीम फनकार को हमसे छीन लिया दिलीप साहब ने 98 साल की उम्र में आखरी सांस ली खुदा उनको अपनी पनाह में ले और ज़न्नत में जगह दे अमीन !

 

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