National Youth Day Kiski Yaad Men Manaya Jata Hai

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12 जनवरी के दिन स्वामी विवेकानंद जी का जन्मदिन होता है, इस दिन को हम राष्ट्रीय युवा दिवस National Youth Day के रूप में मानते है। एक कार्यक्रम में संयुक्त राष्ट्र संघ ने सन 1984 को अंतराष्ट्रीय युवा वर्ष International Youth Year के तौर पर मनाने का फैसला किया, इस अवसर को देखते हुए तत्कालीन सरकार ने ये फैसला किया की, 12 जनवरी 1984 के दिन से हर साल इस दिन को राष्ट्रीय युवा दिवस National Youth Day के तौर पर मनाएंगे।

कौन थे स्वामी विवेकानंद

स्वामी विवेकानंद जी का जन्म 12 जनवरी 1863 के दिन कलकत्ता (Kolkata) में एक कायस्थ परिवार में हुआ था उनको घर में प्यार से विरेश्वर कहकर पुकारा जाता था, वैसे उनका नाम नरेंद्रनाथ दत्त था। उनके पिता जी का नाम विश्वनाथ दत्त था, वो कलकत्ता (Kolkata) Highcourt के एक जाने माने वकील थे। उनकी माता जी का नाम भुवनेश्वरी देवी था, जो की एक धार्मिक महिला थीं उनका सारा समय पुजा पाठ में बीतता था। पिता एक वकील और माता जी एक धार्मिक जीवन जीने वाली महिला इन दोनों के गुणों से ही विवेकानंद जी के जीवन में तार्किक और धार्मिक दोनों विलक्षण गुणों का विस्तार हुआ। और आज हम हर साल उनकी याद में 12 जनवरी के दिन राष्ट्रीय युवा दिवस National Youth Day के तौर में मानते हैं।

किसी सामान्य बच्चे की तरह विवेकानंद जी भी एक शरारती बच्चे थे, वो अपने दोस्तों के साथ मिलकर खूब शरारतें किया करते। शरारत के साथ साथ वो एक अच्छे विद्यार्थी भी थे।भुवनेश्वरी देवी यानी उनकी माता जी हमेशा पुजा पाठ किया करती थीं, उससे जब कुछ समय उन्हे मिल जाए तो उस समय में वो कभी रामायण तो कभी महाभारत का पाठ किया करती थीं, उनके घर अक्सर कथावाचक आया करते यानि उनके घर में धार्मिक और आधायत्मिक माहौल हमेशा बना रहता था। विवेकानंद जी का बचपन इसी माहौल में बिता जिसका असर उनके दिमाग पर होना एक आम बात थी, युवा अवस्था Youth Age में उनके दिल में भी ईश्वर को जानने की ललक जागने लगी थी। वो एक बीज जो घर में बोया गया बाद में वो एक बड़े वृक्ष के रूप दुनियाँ के सामने आ गया, और उसकी अध्यात्मिकता की छाव में सारे संसार ने पनाह ली।

स्वामी विवेकानंद जी की शिक्षा

स्वामी विवेकानंद जी पढ़ाई लिखाई में बहुत अच्छे थे, घर में जो शिक्षा मिली उसके बाद वो स्कूली शिक्षा के लिए सन 1871 में आठ साल की उम्र में कलकत्ता (Kolkata) के ईश्वरचंद्र विद्यासागर मेट्रोपॉलिटन संस्थान में उनका दाखिला करवाया गया। परिवार के साथ उन्हे फिर सन 1877 में रायपुर (अब छत्तीसगढ़ की राजधानी) आना पड़ा।फिर जब उनका परिवार सन 1879 में कलकत्ता (Kolkata) वापस लौटा, तब उन्होने प्रेसीडेंसी कॉलेज में आगे की पढ़ाई के लिए दाखिला लिया, उस वर्ष उन्होने वहाँ परीक्षाओं में प्रथम अंक प्राप्त किया वो ऐसा करने वाले अकेले छात्र थे।

वैसे तो हर विषय में उन्हे जैसे महारत हासिल थी, मगर स्वामी विवेकानंद जी को दर्शन, इतिहास, धर्म, कला, साहित्य और सामाजिक विज्ञान में कुछ खास रुचि थी। ये तो हुई उनकी उन विषयों की जिनमें उनकी रुचि बहुत थी मगर इसके अलावा उनको हिन्दू शास्त्रों जैसे रामायण, महाभारत, वेद, उपनिषद, भगवत गीता और पुराणों में गहरी रुचि थी। सिर्फ पढ़ाई लिखाई ही नहीं वो भारतीय शास्त्रीय संगीत में भी पारंगत थे साथ साथ वो रोजाना व्यायाम भी किया करते थे। ना सिर्फ भारतीय दर्शन और इतिहास का अध्ययन किया विवेकानंद जी ने उन्होने General Assembly Institution (Scottish Church College) में पश्चिमी दर्शन और यूरोपीय इतिहास का भी अध्ययन किया। इसलिए वो देश के हर युवा Youth की प्रेरणा सूत्र हैं।

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