Karpuri Thakur Jiwani: भारत रन्त कर्पूरी ठाकुर कौन थे जानिए !!!

Karpuri Thakur Jiwani – 2024 के भारत रत्न सम्मान की घोषण कर दी गई है, बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को इस साल भारत रत्न सम्मान दिया जायेगा ये घोषण केंद्र सरकार ने की है, बिहार में लोक जननायक के रूप में जाने जाने वाले कर्पूरी ठाकुर ने आरक्षण का नया मोडल पेश किया था जिसकी वजह से उन्हें अन्य राजनैतिक पार्टियों का विरोध भी झेलना पड़ा दो बार बिहार के मुख्यमंत्री और दो बार उप मुख्यमंत्री रहे कर्पूरी ठाकुर आइये आज बात करते हैं लालू यादव और नितीश कुमार के गुरु कर्पूरी ठाकुर की.

कौन थे कर्पूरी ठाकुर? Biography of Karpuri Thakur

Karpuri Thakur
नाम कर्पूरी ठाकुर (Karpuri Thakur)
जन्म 24 जनवरी 1924 में पितौनझिया (समस्मेंतीपुर,बिहार)
मृत्यु 17 फरवरी 1988 (64 साल का जीवन)
पिता का नाम गोकुल ठाकुर
माता का नाम रामदुलारी देवी
पत्नी का नाम फुलमनी देवी
बच्चे रामनाथ ठाकुर, मनोरमा शर्मा, पुष्पा कुमारी देवी, सुशीला देवी
धर्म हिन्दू
राष्ट्रीयता भारतीय
राजनीतिक पार्टी सोशलिस्ट पार्टी (1952-1973), भारतीय क्रांति दल (1973-1977), जनता पार्टी (1977-1979)
सम्मान भारत रत्न (2024)

कर्पूरी ठाकुर स्वतंत्रता सेनानी, राजनीतिज्ञ और शिक्षक के रूप में जाने जाते हैं उनके लोक कल्याण के नीतियों की वजह से उन्हें जननायक कहा जाता है. उनके के द्वारा किया गए कल्याणकारी कार्यों और उनकी सेवा के लिए उन्हें भारत के उच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया जाने वाला है 2024 में.

24 जनवरी 1924 में पितौनझिया (समस्मेंतीपुर,बिहार) में एक नाई परिवार में उनका जन्म हुआ था उनके पिता का नाम गोकुल ठाकुर और माता जी का नाम रामदुलारी देवी है. कर्पूरी महत्मा गाँधी और सत्यनारायण सिन्हा से प्रेरित होकर वो अंग्रेजों के खिलाफ स्वतंत्रता की लड़ाई में शामिल हो गए जिसके लिए उन्होंने  All India Students’ Federation (AISF) ज्वाइन किया. फिर उन्होंने भारत छोडो आन्दोलन में शामिल होने के लिए कॉलेज की पढ़ी बीच में छोड़ दी और पूरी तरह से देश की आज़ादी के लिए खुद को आज़ाद कर लिया.

कर्पूरी ठाकुर का राजनैतिक जीवन

लंबे संघर्ष के बाद 15 अगस्त 1947 के दिन भारत को ब्रिटश हुकुमत से आज़ादी मिली. Karpuri Thakur ने आज़ाद भारत के समाज में फैले हुए जातिवाद के खिलाफ लड़ाई छेड़ दी ताकि वंचित और सोषित वर्ग को सम्मान के साथ जीने का हक मिल सके. इस तरह धीरे धीरे कर्पूरी समाजवाद का चेहरा बन गए.

1952 में हुए चुनाव में कर्पूरी सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार बने और पहली बार ताजपुर विधानसभा सीट से जीत कर वो विधायक बने, उसके बाद वो समाजवाद की नयी रौशनी के रूप में उभरे भारतीय राजनीती में. फिर 1967 में बिहार में हुए विधानसभा चुनाव में कर्पूरी के नेतृत्व में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी एक बड़ी ताक़त बनकर उभरी उसका नतीजा ये हुआ की पहली बार बिहार में कोई गैर कांग्रेसी सरकार बनी.

नयी बनी सरकार में महामाया प्रसाद सिन्हा मुख्यमंत्री बने और कर्पूरी ठाकुर को उपमुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई गई.साथ ही कर्पूरी को शिक्षा मंत्रलाय का भी प्रभार मिला अपने शिक्षा मंत्री रहते कर्पूरी ने छात्रों की पढ़ी निशुल्क कर दी और उस समय इंग्लिश क अनिवार्यता भी समाप्त कर दी.

बिहार की राजनीती में उलटफेर हुआ और कर्पूरी को मुख्यमंत्री बना दिया गया, अपने 6 महीने के मुख्यमंत्री काल में कर्पूरी ने कुछ महत्वपूर्ण फैसले लिए जिनका जिक्र करना यहाँ ज़रूरी है-

  • कर्पूरी ने मालगुजारी खत्म कर दी उन खेतों से जिनसे खेती में लाभ नहीं होता था.
  • जिन किसानों के पास 5 एकड़ से कम ज़मीन थी उनकी मालगुजारी भी बंद करवा दी.
  • कर्पूरी ने उर्दू को राज्यभाषा का दर्जा दिया.

साल 1977 में बिहार में हुए विधानसभा चुनाव में फिर से एक बड़ी शक्ति बनकर उभरे थे कर्पूरी ठाकुर. जनता पार्टी की तरफ से वो अब दूसरी बार मुख्यमंत्री बन गए थे.

कर्पूरी ठाकुर को जननायक क्यों कहा जाता है?

Karpuri Thakur का जन्म ऐसे परिवेश में हुआ जहाँ देश गुलाम था लोग मजबूर थे, देश आज़ाद हुआ तो समाज में फैली कुप्रथा और जातिवाद के खिलाफ कर्पूरी खड़े हो गए.राजनीती में समाजवाद को लेन वाले नेता के रूप में भी इन्हें याद किया जाता है. एक नाई समाज में पैदा हुए कर्पूरी को पता था जातपात कितनी बड़ी खाई है समाज में जिसको वो भरना चाहते थे. जब वो मुख्यमंत्री पद पर आसीन थे उन्होंने आरक्षण का एक मॉडल पेश किया था. जिसके अनुसार उन्होंने पिछड़ों को 12 प्रतिशत आरक्षण दिया मुंगेरी लाल आयोग के तहत् दिए और 1978 में ये आरक्षण दिया था जिसमें 79 जातियां थी, इसमें पिछड़ा वर्ग के 12% और अति पिछड़ा वर्ग के 08% दिया और EWS वर्ग को 3% साथ ही उस समय महिलाओं को 3% आरक्षण दिया था.

कर्पूरी ठाकुर से सम्बंधित अन्य सवाल

कर्पूरी ठाकुर कौन थे?

कर्पूरी ठाकुर बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री थे,

कर्पूरी ठाकुर की पत्नी का नाम क्या था?

कर्पूरी ठाकुर की पत्नी का नाम फूलमनी देवी था.

कर्पूरी ठाकुर की जाति क्या थी?

कर्पूरी ठाकुर नाई समाज से आते थे.

हम hindeeka में आपको आपके हर सवाल का जवाब देने की कोशिश करते है, जिससे आप को आपके सवालों के जवाब के लिए कहीं और ना जाने पड़े, आज हमने बात की भारत रत्न कर्पूरी ठाकुर Karpuri Thakur की जीवनी के बारे मे.

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