दत्तात्रेय होसबोले बने नए आरएसएस के सरकार्यवाह इन्हे सर्वसम्मन्ति से चुना गया है, ये अब भैया जी जोशी की जगह लेंगे। जो पिछले 12 सालों से आरएसएस के प्रमुख यानी सरकार्यवाह थे।
कौन हैं दत्तात्रेय होसबोले
1 दिसम्बर 1955 के दिन कर्णाटक के शिमोगा ज़िले के सोरबा गांव में इनका जन्म हुआ था। इन्होने अंग्रेजी साहित्य से पोस्टग्रेजुएट हैं। बचपन से ही राष्ट्रवादी संगठन आरएसएस के संपर्क में आये थे, दत्तात्रेय साल 1968 में मात्र 13 साल की उम्र में ही वो आरएसएस में स्वयंसेवक बन गए थे। काफी सक्रिय रहा करते थे वो आरएसएस के सभी कार्यक्रमों में इसके बाद साल ये अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् से जुड़े ये संगठन भाजपा की विद्यार्थी संगठन का नाम है।
आने वाले 15 सालों तक दत्तात्रेय अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् के संगठन मंत्री पद पर रहे आन्दोलनों से इनका पुराना नाता रहा है, इसी कारण ये साल 1975 से 1977 के बीच मशहूर जे पी आंदोलन से जुड़े, इस आंदोलन में भी उन्होंने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया इसका नतीजा ये हुआ की उन्हें तत्कालीन सरकार ने लगभग 2 साल के लिए जेल भेज दिया।
जेल में भी ये आराम से नहीं बैठे उनदिनों हाथों से लिखी पत्रिकाएं बहुत मशहूर हुआ करती थीं, उस दौरान दत्त्तात्रेय ने ऐसी दो पत्रिकाओं का संपादन भी किया।
जेल से निकलने के बाद दत्तात्रेय साल 1978 में नागपुर के नगर संपर्क प्रमुख के रूप में विद्यार्थी परिषद् में पूर्णकालिक कार्यकर्ता चुने गए। विद्यार्थी परिषद् में सक्रिय भूमिका का निर्वाहन करतये समय उन्होंने बहुत से काम किये उसके बाद वो राष्ट्रीय संगठन मंत्री के पद तक चले गए अपनी कार्य निष्ठा के चलते।
दत्तात्रेय के किये कए उत्कृष्ट कार्यों में से गुवाहाटी में युवा विकास केंद्र के संचालन में उनकी भूमिका उल्लेखनीय रही, इसके साथ ही अंडमान निकोबार द्वीप समूह और पूर्वोत्तर के प्रदेशों में किये गए इनके कार्यों की सराहना की जाती है।
क्या होता है आरएसएस में सरकार्यवाह का पद
आरएसएस एक सांस्कृतिक संगठन है जो की भारत में हिन्दू अस्मिता और हिन्दू राष्ट्र के मुद्दों के लिए आवाज़ उठाने के लिए जानी जाती है। इस संगठन में संघप्रमुख और सरसंघचालक के लिए कोई चुनाव नहीं हुआ करते हैं, इसमें संघप्रमुख अपने जगह पर अपने किसी उत्तराधिकारी का नाम चयनित करते हैं, जैसे के एस सुदर्शन ने अपने उत्तराधिकारी मोहन भागवत की नियुक्ति की थी। आरएसएस में जो संघप्रमुख होते हैं, उनका काम आरएसएस के सभी पदाधिकारियों को मार्गदर्शन देने की होती है। एक तरह से वो मार्गदर्शक होते हैं, और संगठन का सारा काम सरकार्यवाहक के ज़िम्मे होता है
कैसे होता है सरकार्यवाहक का चुनाव
सरकार्यवाहक का कार्यकाल 3 सालों का होता है। उसके बाद चुनावों की प्रक्रिया शुरू होती है इसमें अखिलभारतीय प्रतिनिधि सभा इनका चुनाव करती है। अक्सर ये सभाएं मार्च के दूसरे या तीसरे हफ्ते में 3 दिनों के लिए होती है ये शुक्रवार को शुरू होकर रविवार तक चलती है।
कैसी लगी आपको ये जानकारी हमें ज़रूर बताएं अगर कोई सुझाव हो हमारे लिए तो आप कमेंट करें धन्यवाद!
अगर आप हमारे साथ अपने Article साँझा करना चाहते हैं तो आपका स्वागत है !
हमसे जुड़े : Facebook | Telegram
ये जानकारी बहुत अच्छी दी आपने धन्यवाद