राकेश टिकैत का परिचय
आम तौर पर किसान और किसानों से जुड़े मुद्दों की जब बात होती है राकेश टिकैत का नाम ज़रूर सुनने में आता है, अकसर जब भी किसानो के हक़ की बात हो उसके लिए कोई धरना देना हो या कोई प्रदर्शन करना हो राकेश टिकैत आपको ज़रूर दिखेंगे। आइये जान लेते हैं कौन हैं राकेश टिकैत ?
4 जून 1969 को मुज़फ्फर नगर के सिसौली गांव में जन्म हुआ। राकेश टिकैत का जो की उत्तर प्रदेश में है। उनके पिता स्व महेंद्र सिंह टिकैत हैं जो की खुद भी देश के एक बड़े नेता थे, जिन्होंने भारतीय किसान यूनियन की नीव रखी थी।
महेंद्र सिंह टिकैत के चार बेटे हैं, सबसे बड़े बेटे का नाम नरेश टिकैत, राकेश टिकैत, सुरेंद्र टिकैत और सबसे छोटे नरेंद्र टिकैत। चूँकि महेंद्र सिंह टिकैत का खानदान बालियान खाप के अंतर्गत आता है, जिसमें पिता के बाद बड़े बेटे को पगड़ी पहनाई जाती है, इस वजह से महेंद्र सिंह टिकैत की मृत्यु के बाद उनके बड़े बेटे नरेश टिकैत को भारतीय किसान यूनियन का मुखिया बनाया गया।
राकेश टिकैत ने मेरठ यूनिवर्सिटी से MA तक की पढाई की हुई है, राकेश टिकैत की शादी सन 1985 में उत्तर प्रदेश के बागपत ज़िले के दादरी गांव की सुनीता देवी से हुई इनका एक पुत्र जिसका नाम चरण सिंह है और दो पुत्रियां सीमा और ज्योति हैं।
किसान राजनीती और राकेश टिकैत
राकेश टिकैत सन 1992 तक दिल्ली पुलिस में सब इंस्पेक्टर के पद पर काम करते थे, सन 1993 में उनके पिता स्व महेंद्र सिंह टिकैत दिल्ली के लाल क़िले में किसान आंदोलन का नेतृत्व कर रहे थे, राकेश पर दबाव बनाया गया की, वो इस आंदोलन को ख़त्म करने के लिए अपने पिता से बात करें उन्होंने ऐसा करने से मन कर दिया, लगातार उनपर दबाव बनाया गया जिसकी वजह से उन्होंने पुलिस की नौकरी से इस्तीफ़ा दे दिया।
नौकरी से इस्तीफा देने के बाद वो पूरी तरफ से किसान आंदोलन से जुड़ गए, सक्रीय रूप से भारतीय किसान यूनियन का हिस्सा बन गए। कुछ दिनों बाद उनके पिता की मृत्यु हो गई, उनके बड़े भाई नरेश को 1997 में इस यूनियन का मुखिया बना दिया गया। और राकेश इस यूनियन के प्रवक्ता बन गए।
इन्होने दो बार चुनाव भी लड़ा है, पहली बार मुज़फ्फर नगर की खतौली विधानसभा से निर्दलीय उम्मीदवार थे। दूसरी बार वो 2014 में अमरोहा जनपद से लोकसभा का चुनाव राष्ट्रिय लोक दल पार्टी से लड़ा मगर वो दोनों बार हार गए।
राकेश टिकैत और उनके किसान आंदोलन
राकेश टिकैत एक बहुत ही लोकप्रिय और तेज़ तर्रार किसान नेता है, अपने किसान आंदोलनों के चलते लगभग 50 बार वो जेल की यात्रा भी कर चुके हैं। ऐसे ही एक आंदोलन के दौरान उन्हें मध्य प्रदेश में गिरफ्तार कर लिया गया तब उन्हें 40 दिनों तक जेल में रहना पड़ा था। एक बार उन्होंने दिल्ली लोकसभा के सामने गन्ने की फसल में आग लगा दी, उनकी मांग थी की गन्ने का मूल्य बढ़ाया जाये सरकार ने मानने से मना कर दिया था, फलस्वरुप उन्हें तिहाड़ जेल में बंद कर दिया गया था।