Pankaj Udhas- ग़ज़लों को इस बुलंदी पर इस ज़माने में ले जाने वालों में एक नाम पंकज उधास का भी है, मगर अब वो सिर्फ एक नाम ही रह गए, 26 फरवरी की शाम खबर आई की पंकज दुनिया को अलविदा कह गए. ना जाने कितने शायरों की ग़ज़लों को उन्होंने ने अपनी सुरमई आवाज़ के जादू से ज़िन्दा किया हुआ था. किस शायरों को तो लोग इस लिए जानते थे की उनकी ग़ज़ल को पंकज उधास ने अपनी आवाज़ दी है. सिर्फ ग़ज़ले ही नहीं उन्होंने कई बॉलीवुड गानों को भी अपनी आवाज़ से सजाया था. आज वो हमारे बीच नहीं है मगर उनकी आवाज़ हमेशा हमारे साथ रहेगी. इस आर्टिकल में हम बात करेंगे पंकज उधास की जीवनी की, उनके करियर की और उनके परिवार की आइये शुरू करते हैं-
पंकज उधास का निधन
लम्बे समय से बीमार चल रहे पंकज उधास Pankaj Udhas ने 73 साल क उम्र में दुनिया को अलविदा कहा. उनकी बेटी ने अपने Instagram से ये मेसेज किया है की ‘भारी दिल और बड़े दुख के साथ आप सभी को सूचित करना पड़ रहा है कि लंबी बीमारी के चलते 26
पंकज उधास की जीवनी | Biography of Pankaj Udhas in Hindi
Pankaj Udhas का जन्म 17 मई 1951 के दिन गुजरात के जेतपुर में हुआ था, उनके पिता का नाम केशु भाई उधास और माता जी का नाम जीतू बेन उधास है. तीन भाइयों में सबसे छोटे थे पंकज उनके बड़े भाई बॉलीवुड में जानेमाने गायक हैं जिनका नाम मनहर उधास है उनके एक और भाई जिनका नाम निर्मल उधास है वो भी ग़ज़ल गायक हैं. हालाँकि तीनों भाई गायक थे मगर सबसे पहले पंकज ने ही गाना शुरू किया. शुरुवाती पढाई उनकी भावनगर के BPTI से हुई. उसके बाद काम की तालाश में उनका परिवार बॉम्बे (मुंबई) चला गया. जहाँ उनकी पढाई सेंट जेवियर्स कॉलेज से हुई.
संगीत और पंकज उधास का परिवार
Pankaj Udhas के पिता केशु भाई उधास एक सरकारी कर्मचारी थे,उनकी मुलाक़ात उस ज़माने में मशहूर विणा वादक अब्दुल करीम खान से हुई. जिन्होंने उन्हें विणा पर दिलरुबा बजाना सिखा दिया. अब जब वो घर पर होते विणा पर अक्सर दिलरुबा बजाने अ रियाज़ किया करते. पंकज और उनके भाई तीनो उस समय छोटे थे मगर उन्हें दिलरुबा की धुन बहुत पसंद आती, धीरे धीरे उनमे भी संगीत को लेकर जिज्ञासा जगाने लगी जिसको देखकर केशु भाई ने उनका दाखिला राजकोट के संगीत अकादमी में करवा दिया. पंकज का दाखिला तबला सिखने के लिए करवाया गया था, मगर फिर उनकी रूचि गायन के तरफ हुई तब उनके उस्ताद हुए गुलाम कादिर खान साहब उनसे पंकज ने हिन्दुस्तानी गायन शास्त्रीय संगीत सीखना शुरू किया, इसके बाद उधास ग्वालियर घराने के गायक नवरंग नागपुरकर के से प्रशिक्षण लेने के लिए मुंबई चले गए.
पंकज उधास का करियर
बात उस ज़माने की है जब भारत पर चीन की लड़ाई चल रही थी, तब लता मगेश्कर का गया हुआ गीत “मेरे वतन के लोगों ज़रा याद करो क़ुर्बानी” पंकज उधास ने गया तब वहां कसी ने उन्हें 51 रुपए दिए थे. ये गाने की बदले में मिली हुई उनकी पहली कमाई थी. पंकज उधास का पहला फ़िल्मी गाना फिल्म “कामना” का था जिसे संगीत उषा खन्ना ने दिया था और गीत लिखा था नक्श लायलपुरी ने. हालाँकि फिल्बुरी तरह से फ्लॉप हुई मगर इस गाने को बहुत सराहा गया. इसके बाद उन्हें को ख़ास काम बॉलीवुड में नहीं मिला, तब उन्होंने ग़ज़ल गायन की तरफ अपना रूख किया जिसके लये बाकायदा उन्होंने उर्दू सीखी. उसके बाद वो अमेरिका और कनाडा चले गए जहाँ उन्होंने कई स्टेज शो में ग़ज़ल गए करीब दस महीने बाद वो 1980 में भारत लौट आये फिर उन्होंने अपना ग़ज़ल का पहला एल्बम रिलीज़ किया जिसका नाम था “आहट” यही से उन्हें पहचाना जाने लगा औ उन्हें सफलता मिली. 2011 तक उन्होंने 50 से ज्यादा एल्बम रिलीज़ कर लिए साल 1986 में एक फिल्म आई संजय दत्त की “नाम” जिसका एक गाना “चिट्ठी आई है” इतना मशहूर हुआ की पंकज इस गाने की बदौलत घर घर तक देश विदेश तक जाने पहचाने जाने लगे आज भी ये गाने आँखों में आंसू ले आता है. 990 में, उन्होंने फिल्म घायल के लिए लता मंगेशकर के साथ मधुर युगल गीत “माहिया तेरी कसम” गाया। इस गाने ने जबरदस्त लोकप्रियता हासिल की. 1994 में, उधास ने साधना सरगम के साथ फिल्म मोहरा का उल्लेखनीय गीत, “ना कजरे की धार” गाया, जो बहुत पसंद किया गया. उन्होंने बॉलीवुड में गायक के रूप में काम करना जारी रखा और साजन, ये दिल्लगी, नाम और फिर तेरी कहानी याद आई जैसी फिल्मों में कुछ ऑन-स्क्रीन उपस्थिति दर्ज की, दिसंबर 1987 में म्यूजिक इंडिया द्वारा लॉन्च किया गया उनका एल्बम शगुफ्ता भारत में कॉम्पैक्ट डिस्क पर रिलीज़ होने वाला पहला एल्बम था. बाद में, उधास ने सोनी एंटरटेनमेंट टेलीविजन पर आदाब आरज़ है नामक एक Talent Hunt टेलीविजन कार्यक्रम शुरू किया. अभिनेता जॉन अब्राहम उधास को अपना गुरु कहते हैं.
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