The Empire TV Series | Biography of Babur in hindi

भारत पर मुग़लों ने सदियों तक राज किया इनमे से कई ऐसे मुग़ल बादशाह हुए जिन्होंने बहुत तबाही मचाई भारत में मगर इन्ही में से कुछ ऐसे भी हुए जिन्होंने ना सिर्फ भारत को अपनी ज़िन्दगी दे दी साथ ही उन्होंने भारत के लिए बहुत कुछ कुर्बानियां भी दीं मगर क्या आपको पता है मुग़ल थे कौन और उनके पहले बादशाह जिनसे भारत पर अकर्मण किया वो कौन था उसका नाम बाबर था उसकी की ज़िन्दगी के इर्द गिर्द एक TV Series बनाई गई है जिसका नाम है THE EMPIRE आज हम जानेंगे इस TV सीरीज के बारे में और कौन था बाबर कैसी थी उसकी ज़िन्दगी 

The Empire TV Series क्या है ?

इंग्लिश का एक मशहूर उपन्यास Empire of The Mughal जोकि उपन्यासकार एलेक्स रदरफोर्ड ने लिखी थी इसी उपन्यास पर आधारित है The Empire TV Series इस सीरीज के निर्माता है निखिल आडवाणी और इसकी डायरेक्टर हैं मिताक्षरा कुमार इस सीरीज का प्रसारण Disney + Hotstar पर 27 अगस्त 2021 से हो रहा है 

इस The Empire TV Series में मुख्य कलाकार कुणाल कपूर (बाबर), दृष्टि धामी (ख़ानज़दा बेगम), शबाना आज़मी (ऐसन दौलत बेगम), डिनो मोरिया (मुहम्मद शायबानी), आदित्य सील (इब्राहिम लोदी) , साहेर बंबा (महम बेगम) और राहुल देव (वज़ीर खान) हैं इस सीरीज की स्क्रीन प्ले भवानी अय्यर, मिताक्षरा कुमार ने लिखी है और इसके डायलॉग ए एम् तुराज़ ने लिखे हैं

ये 8 एपिसोड की सीरीज है जिसको भारत और उज़्बेकिस्तान में शूट किया गया है इस सीरीज को Produse निखिल आडवाणी की बहन मोनिशा अडवाणी और मधु भोजवानी ने किया है इस सीरीज की निर्माता कंपनी का नाम Emmay Entertainment है 

मुग़ल साम्राज्य की कहानी को एक 2 या 3 घंटे की फिल्म में दर्शकों को दिखा पाना बहुत मुश्किल भरा काम है इस लिए इसकी निर्माता मिताक्षरा कुमार ने अपनी इस सीरीज को OTT प्लेटफार्म पर प्रदर्शित करने की बात सोची मिताक्षरा ने संजय लीला भंसाली के साथ कई ऐतिहासक फिल्मों में काम किया हुआ है

इस टीवी सीरीज का जब से ट्रेलर लांच किया गया है इसकी तुलना लोग HBO’s Game of Thrones से कर रहे हैं कई लोगों का कहना है की ये सीरीज भारतीय गेम ऑफ़ थ्रोन्स है मगर ये सीरीज पूरी तरह से मुग़ल बादशाह बाबर के जीवन पर आधारित है की कैसे उसने छोटी से उम्र में अपना साम्राज्य कायम किया फरगना शहर से शुरू होती है बाबर की कहानी समरकंद होती हुई भारत तक

क्यों घिर गई The Empire विवादों में

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Image Courtesy – Diseny Hoststar

 

दरअसल भारत में लोगों का ऐसा मानना है की बाबर एक आक्रांता था जिसने भारतीय भूमि को रक्त रंजीत इतिहास दिया है उसने महिलाओं बच्चों बुज़ुर्गों सब पर ज़ुल्म किये अपनी सत्ता कायम करने के लिए लोगों का कहना है की मुगल बादशाह बाबर एक आक्रांता था जिसको इस सीरीज में एक नायक की तरह पेश किया गया है जोकि पूरी तरह से गलत है

अपने विरोध को दर्ज करने के लिए लोगों ने मुहीम शुरू कर दी है वो सब जो इस The Empire TV Series का विरोध कर रहे हैं उन्होंने ट्विटर पर हैशटैग #Ban The Empire Series  और #Uninstall Hotstar को टॉप ट्रेंड पर पहुंचा दिया है

Diseny Plus Hotstar पर कैसे देखे मूवी

जब से कोरोना की वजह से Lockdown लगा भारत समेत लगभग सारी दुनिया में तब से लोग अपने अपने घरों में कैद हो गए थे ज़रूरत के सामान जुटाने में कई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था उसमें अगर कोई मूवी फिल्म देखने की बात हो तो वो नामुमकिन हो गया था ऐसे में वेब सीरीज का ज़माना आया लोग अपने घरों में बैठे हुए mobile app के ज़रिये फ़िल्में और वेब सीरीज देखने लगे जिससे उनके मनोरंजन की समस्या का हल निकल आया

Diseny Plus Hotstar भी एक Mobile App है जिसकी मदद से आप इस प्लेटफार्म पर रिलीज़ होने वाली वेब सीरीज और फ़िल्में देख सकते हैं ये दोनों तरह के स्मार्ट फ़ोन जैसे एंड्राइड और IOS पर काम करता है इसके कुछ मंथली चार्ज होते हैं जिसको सब्सक्रिप्शन कहा जाता है तो आपको करना ये है की आप इस Diseny Plus Hotstar App को अपने मोबाइल पर डाउन लोड करना है और इसका कोई अपने हिसाब से सब्सक्रिप्शन लेना है फिर आप अपनी मन पसंद वेब सीरीज या कोई फिल्म देख सकते हैं जोकि लगभग हर भाषाओँ में हो सकती है यही नहीं आप इसमें क्रिकेट और अन्य खेलों का मज़ा भी ले सकते हैं आप यहाँ The Empire TV Series भी देख सकते हैं

इसके मंथली चार्जेज के लिए आप इनके वेब साइट पर जाकर देख सकते हैं की क्या चार्ज है अभी सब्सक्रिप्शन का ये है वेबसाइट आप यहाँ क्लिक करके सीधे https://www.hotstar.com/in इनकी वेब साइट पर जा सकते हैं

बाबर का जीवन परिचय Biography of Babur in Hindi

भारत में मुग़ल साम्राज्य की स्थापना की थी बाबर Babur ने बाबर का पूरा ना ज़हीरउद्दीन मुहम्मद बाबर था बाबर का जन्म 14 फरवरी 1483 के दिन हुआ था इसके पिता का नाम उम्र शेख मिर्ज़ा था जोकि फरगना (उज़्बेकिस्तान) के शासक थे बाबर के पिता की मृत्यु के बाद वो राजगद्दी का हकदार हो गया और मात्रा 11 साल की उम्र में वो फरगना का शासक बन गया बाबर का परिवार चुगताई वंश से आता था वो लोग सुन्नी मुस्लमान थे उसके शासक बनाने में उसकी दादी ऐसान दौलत बेग़म का बहुत बड़ा हाथ था बाबर ने 1501 में समरकंद पर अपना अधिकार जमा लिया था मगर समरकंद सिर्फ 8 महीने तक उसके अधीन रहा 1504 में बाबर ने काबुल पर हमला किया और काबुल जीत लिया अपने काबुल विजय के बाद उसके पूर्वजों द्वारा धारण की गई उपाधि मिर्ज़ा का उसने त्याग कर बादशाह उपाधि को चलन में ले आया वो अपने आप को बादशाह कहलवाना पसंद करता था इसी बाबर पर बानी है The Empire TV Series

 

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बाबर और भारत

बाबर Babur एक बहुत महत्वकांशी एवं बहुत बहादुर सेना पति था वो अपने साम्राज्य को बढ़ाने के लिए हमेशा योजनाएं बनता रहता था इस के तहत उसने सन 1519 ईस्वी में पहली बार भारत पर आकर्मण कर दिया उस समय उसका मुक़ाबला हुआ था यूसुफ़ज़ाई जाती से तब बाबर ने बाजौर और भेरा को अपने कब्ज़े में कर लिया था इसके बाद बाबर ने सय्यदपुर और सयालकोट को भी अपने अधीन कर लिया

पानीपत का पहला युद्ध बाबर और इब्राहिम लोधी के बीच

बाबर नामा जो की बबुर की जीवनी है चुगताई भाषा में उससे पता चलता है की इब्राहिम लोदी और बाबर के बीच पानीपत में 21 अप्रैल सन 1526 में हुआ था दरअसल हुआ कुछ ऐसा था को दौलत खान गवर्नर था लाहौर का जिसका इब्राहिम लोदी से मनमुटाव हो गया दौलत खान ने ही बाबर  Babur के निमंत्रण दिया था की वो भारत पर आक्रमण करें इस काम के लिए दौलत खान ने दिलावर खान और आलम खान को बाबर के पास  भेजा कुछ इतिहास करों का ऐसा मानना है की इसी वक़्त राणा सांग ने भी बाबर को भारत पर हमला करने का निमंत्रण दिया था 

दौलत खान और राणा सांगा ने क्यों निमंत्रण दिया था बाबर को

बात कुछ ऐसी थी की दौलत खान एक कर्मचारी की तरह काम कर रहा था गवर्नर के पद पर लाहौर में मगर उसकी महत्वाकांछा थी की वो पंजाब के पुरे इलाके का नियंत्रण अपने हाथों में चाहता था मगर वो ऐसा कर नहीं पा रहा था इब्राहिम लोदी की वजह से और आलम खान चाहता था की वो दिल्ली के तख़्त पर जा बैठे राणा सांगा चाहता था की वो बाबर के हाथों अफगानो को नियत्रित कर के खुद दिल्ली के सिहासन पर जा बैठे

क्या हुआ था पानीपत में 21 अप्रैल 1526 ईस्वी में

ऐसा नहीं था की दौलत खान और राणा सांगा के बुलावे पर बाबर भारत आया था वो पहले भी भारत आना चाहता था बाबर बहुत बड़ी सेना के साथ पंजाब के सफर पर निकल गया दिन था 12 अप्रैल 1526 ईस्वी का एक तरफ इब्राहिम लोदी के सैनिक खड़े थे तो दूसरी तरफ बाबर के सैनिक युद्ध की तैयारियां शुरू हो गई थी आखिरकार वो दिन आया जब युद्ध शुरू हो गया दिन था 21 अप्रैल 1526 ईस्वी का शुरुआत से ही बाबर के सेना भारी पड़ रही थी इब्राहिम लोदी की सेना पर इसका अंजाम हुआ ये की दोपहर तक लोदी के सैनिकों ने हथियार डाल दिए और बाबर की जीत हुई उसके बाद इब्राहिम लोदी की ह्त्या कर दी गई मैदाने जंग में ही

बाबर की जीवनी बाबर नामा में ये दर्ज है की बाबर ने इस युद्ध में 12000 सैनिकों के साथ लड़ाई लड़ी थी इस युद्ध में उसने अपने तोपखाने का इस्तेमाल भी किया था पहली बार इस युद्ध में बाबर ने ‘तुलगमा युद्ध नीति’ का प्रयोग किया था ये तोपों की एक विशेष श्रंखला होती है इस युद्ध में बाबर ने अपने तीरंदाज़ उस्तादों ‘उस्ताद अली’ और ‘मुस्तफा’ की मदद भी ली थी

इसी युद्ध में हुमायूँ को मशहूर हिरा कोहेनूर भी दिया गया था जो ग्वालियर के राजा विक्रमजीत से छिना गया था इस युद के बाद जो भी सामान मिला वो बाबर ने अपने सैनिकों दरबारियों में बाँट दिया था और भारत की जीत की ख़ुशी में बाबर ने काबुल के एक एक निवासी को एक एक चंडी का सिक्का भी दिया था बाबर की दिलदारी देख कर उसे काबुल की जनता ने कलंदर की उपाधि दी थी पानीपत के युद्ध के बाद बाबर ने दिल्ली आगरा और लोदी साम्राज्य के सारे राज्यों पर कब्ज़ा कर लिया था

बाबर और राणा सांगा का खानवा का युद्ध 17 मार्च 1527 ईस्वी

राणा सांगा ना सिर्फ एक बहादुर राजा था साथ साथ वो एक बुद्धिमान इंसान भी था जब बाबर और इब्राहिम लोदी की लड़ाई की बातें आम हो गई उसने दोनों तरफ से चुप्पी साध ली वो सोचता था की लड़ाई होगी और बाबर जीत कर लूटमार करके वापस काबुल चला जायेगा और इब्राहिम लोदी मारा जायेगा और वो दिल्ली की सल्तनत संभाल लेगा और एक हिन्दू राजा का राज होगा भारत में मगर ऐसा हुआ नहीं पानीपत की लड़ाई के बाद इब्राहिम लोदी तो मारा गया मगर बाबर वापस कौबल नहीं जाना चाहता था वो भारत में ही रह कर अपना साम्राज्य फैलाना चाहता था

जब राणा सांगा को बाबर के वापस ना जाने और साम्राज्य के स्थापना की बात पता चली तो उसके सामने अब बाबर से लड़ने के सिवा कोई चारा नहीं रह गया खानवा की लड़ाई में राणा का साथ मारवाड़, अम्बर ग्वालियर, अजमेर, हसन खान मेवाती, बेसिन चंदेरी और इब्राहिम लोदी का भाई महमूद लोदी ने दिया

राजस्थान के एक काव्य में इस युद्ध का बहुत सटीक वर्णन मिलता है बाबर अपने 20 हज़ार सैनिकों के साथ राणा सांगा से लड़ने के लिए आया उसने सबसे पहले ये किया की लोधी सेना पति को लालच देकर उसने अपने साथ मिला लिया दोनों सेनाओं की पहली भिड़ंत बयाना में और दूसरी नज़दीक ही खानवा में हुई राजपूत सैनिकों ने बहुत बहादुरी से तुर्की फाजियों का सामना किया और वो उनपर हावी भी हो गए अब लग रहा था की बाबर हार जायेगा मगर हर को नज़दीक देखते हुए बाबर ने अपने तोपों से गोले बरसाने शुरू कर दिए जिससे देखते देखते सांगा की फ़ौज जो जीत रही थी अचानक हारने लगी और अंततः हार गई बाबर ने अपने बाबर नामा में लिखा था की राजपूत मरना मारना तो जानते हैं मगर युद्ध करना नहीं जानते

दोनों सनाओं का ये युद्ध फतेहपुर सीकरी के पास खानवा में हुआ था 16 अप्रैल 1527 के दिन इस युद्ध में राणा सांगा अपनी जान बचने में कामयाब हो गया था अपने वफादार साथियों की वजह से मगर फिर किसी ने बाद में उसे ज़हर देकर मार दिया था खानवा के युद्ध के बाद बाबर को ग़ाज़ी का खिताब दिया गया

 

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बाबर की क्रूरता

खानवा युद्ध के बाद अब बाबर थोड़ा स्थिर हो गया था 29 जनवरी 1528 के दिन चन्देरी के युद्ध में वहां के सूबेदार मेदनी राय को हरा दिया बाबर ने इसी युद्ध में बाबर का खौफनाक चेहरा दुनिया ने देखा उसने राजपूतों के कटे हुए सरों से मीनार बनवा दी  मेदनी राय  की दो पुत्रियों का विवाह कामरान और हुमायूँ  से कर दिया  6 मई, 1529 ई. को बाबर ने घाघरा युद्ध में  बंगाल एवं बिहार की संयुक्त सेना को परास्त किया। घाघरा युद्ध जल एवं थल पर लड़ा गया। परिणामस्वरूप बाबर का साम्राज्य ऑक्सस से घाघरा एवं हिमालय से ग्वालियर तक पहुँच गया। घाघरा युद्ध के बाद बाबर ने बंगाल के शासक नुसरत शाह से संधि कर उसके साम्राज्य की संप्रभुता को स्वीकार किया। नुसरत शाह ने बाबर को आश्वासन दिया कि वह बाबर के शत्रुओं को अपने साम्राज्य में शरण नहीं देगा।

मुग़ल साम्राज्य की नीव

बाबर अब भारत को छोड़कर कहीं जाने की नहीं सोच रहा था वैसे भी इब्राहिम लोदी और राणा सांगा से युद्ध जितने के बाद उसका भारत में कोई बड़ा प्रतिद्वंदी नहीं रह गया था इसलिए उसने मुग़ल साम्राज्य की नीव राखी और अपनी राजधानी आगरा को बनाया हालाँकि पहले सुल्तानों की राजधानी दिल्ली थी मगर वो वहां नहीं जाना चाहता था क्योंकि वहां पठान थे जो तुर्कों को पसंद नहीं किया करते थे भारत में दिल्ली के मुस्लिम शासक सुलतान कहलाते थे मगर बाबर ने खुद को बादशाह कहलवाना शुरू किया और उसके बाद मुग़ल शासक हमेशा के लिए अपने नाम के आगे बादशाह लगवाते रहे

बाबर की मृत्यु

एक ऐसी शख्सियत जिसने बहुत छोटी उम्र में ही ज़िन्दगी की सच्चाई देख ली थी और ज़िन्दगी भर जो लड़ाइयों में रहा उसने जब जीवन को स्थिर करना चाहा तो जीवन ने उसका साथ नहीं दिया मात्र 48 साल की उम्र में बाबर ने  26 दिसम्बर 1530 ईस्वी के दिन आगरा में अपनी आखरी सांस ली ऐसा कहा जाता है की हुमायूँ को कोई बहुत गंभीर बीमारी हो गई अब बाबर ने ये दुआ मांगी की इसकी ज़िन्दगी के बदले खुदा बाबर की ज़िन्दगी ले लें और हुआ भी वही

बाबर हमेशा से ये चाहता था की जब उसकी मृत्यु हो उसके शव को काबुल में दफनाया जाये मगर ऐसा हो न सका उस वक़्त तो आगरा के आराम बाग़ में ही दफना दिया गया मगर फिर बाद में उसकी इक्षा के अनुसार उसके शव को फिर काबुल में दफनाया गया जहाँ उसका मकबरा भी बनवाया गया उसकी मृत्यु के बाद उसके बड़े बेटे हुमायूँ को उसकी जगह बादशाह बनाया गया

 

 

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