भारत में लगभग हर दिन कोई ना कोई त्यौहार मनाया जाता है इन्ही त्योहारों में से एक है रक्षा बंधन Raksha Bandhan का त्यौहार जो भाई बहन के प्रेम का प्रतिक है इस दिन बहन अपने भाई की कलाई पर प्रेम का एक धागा बांधती है जिसे राखी कहते हैं इस दिन का इंतज़ार हर भाई और बहन को होता है मगर हममे से बहुत लोग ये नहीं जानते हैं की क्यों मनाया जाता है रक्षा बंधन का ये त्यौहार कब से मनाया जा रहा है रक्षा बंधन का त्यौहार
दोस्तों हम hindeeka में ये कोशिश करते हैं की हमारी भारतीय संस्कृति से जुड़े हर एक पहलु के बारे में में हम गहन अध्यन और शोध करें ताकि हम हमारे पाठकों के हर सवाल का जवाब दे सकें इसी कड़ी में हम आज आपके लिए ये आर्टिकल लाए हैं आज हम रक्षा बंधन से जुडी हर बात को समझेंगे आइये शुरू करते हैं
क्या है रक्षा बंधन ?
वैसे तो एक इंसान की ज़िन्दगी में बहुत सारे रिश्ते होते हैं जिनको उसे नीभाना होता है मगर उन सब रिश्तों में से एक रिश्ता बहुत खास और सबके दिनल के करीब होता है भाई- बहन का रिश्ता और इस रिश्ते को एक दिन बड़े प्यार और धूमधाम से भारत और जहाँ भी भारतीय रहते हैं मनाया जाता है
बहन बड़े प्यार सीपने भाई की कलाई पर एक धागा (राखी) बांधती है और बदले में भाई कसम लेता है की वो अपनी बहन की रक्षा करेगा और उसकी ज़िन्दगी में खुशियाँ लायेगा और साथ में वो अपनी हैसियत के हिसाब से बहन को तोहफा देता है बहन अपने हाथों से फिर भाई का मूंह मीठा करवाती है इस्सी प्यार के बंधन को राकी या रक्षा बंधन Raksha Bandhan का कहा जाता है
कब मनाया जाता है रक्षा बंधन ?
हर साल श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन रक्षा बंधन Raksha Bandhan का त्यौहार मनाया जाता है जिसकी तैयारी बहने कई महीने पहले से करने लगतीं हैं और भाई भी अपनी बहनों के लिए उपहार (Gift for Sister) के इंतेज़ाम में लग जाते हैं
इस साल सावन पूर्णिमा की तिथि दो दिन पड़ने के कारण बहनों और भाइयों का त्यौहार राखी 30 और 31 सितम्बर दोनों दिनों में मनाया जायेगा
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रक्षा बंधन का शुभ महूरत
सावन मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 11 अगस्त को सुबह 10 बजकर 38 मिनट पर शुरू हो रही है, जो 12 अगस्त को सुबह 07 बजकर 06 मिनट तक रहेगी। लेकिन सावन पूर्णिमा शुरू होते है भद्रा भी लग जा रही है जो 11 अगस्त को रात 8 बजकर 35 मिनट तक रहेगी। शास्त्रों का मत है कि भद्रा काल में राखी का त्योहार नहीं मनाना चाहिए बहुत जरूरी होने पर भद्र पुच्छ के समय राखी का त्योहार मना सकते हैं। ऐसे में अगले दिन यानी 12 जुलाई को भद्रा भी नहीं रहेगा और उदया तिथि के अनुसार पूरे दिन पूर्णिमा तिथि का मान रहेगा इसलिए 12 जुलाई को राखी का त्योहार माना सभी के लिए शुभ रहेगा
रक्षा बंधन (राखी) बंधने का मंत्र
येन बद्धो बलि राजा, दानवेन्द्रो महाबल: तेन त्वाम् प्रतिबद्धनामि रक्षे माचल माचल:।
रक्षा बंधन सिंदूर, रोली चंदन लगाने का मंत्र
“सिन्दूरं सौभाग्य वर्धनम, पवित्रम् पाप नाशनम्। आपदं हरते नित्यं, लक्ष्मीस्तिष्ठति सर्वदा॥
कैसे मनाया जाता है रक्षा बंधन ?
कोई भी त्यौहार कैसे मनाया जायेगा उसका एक तरीका होता है उसी तरह रक्षा बंधन Raksha Bandhan मानने का भी तरीका या विधि है इसमें एक थाली में रोली, चन्दन, अक्षत, दही, राखी, मिठाई और घी का एक दिया रखा जाता है इस विशेष पूजा की थाली से सबसे पहले भगवान की आरती उतारी जाति है उसके बाद बहन अपने भाई को पूर्व या फिर उत्तर की तरफ मूंह कर के बिठा लेती है उसके बाद भाई के माथे पर तिलक लगा कर उसकी कलाई पर राखी बांधती है फिर बहने बही की आरती उतारतीं हैं उनका मूंह मीठा करवाकर उनकी लम्बी आयु की कमाना करती हैं इस तरह रक्षा बंधन मनाया जाता है
क्यों मनाया जाता है रक्षा बंधन का त्यौहार ?
भाई – बहन का रिश्ता सबसे पवित्र होता है जोकि नज़र आता है रक्षा बंधन Raksha Bandhan के दिन जब एक बहन बड़े प्यार से अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती हैं और अपने हाथों से भाई को मिठाई खिलाती है और फिर भाई बहन को को तोहफा देता है और साथ ही ये वचन देता है की वो सदा अपनी बहन की रक्षा करेगा भाई बहन के इस पवित्र रिश्ते को रक्षा बंधन के दिन मनाया जाता है
क्यों मनाया जाता है रक्षा बंधन का त्यौहार इसके पीछे बहुत सारी बातें हैं मगर जो सबसे प्रचलित पौराणिक घटना है वो ये है की भगवान कृष्ण ने जब शिशुपाल का वध किया तो उनकी बाएं हाथ की अंगुली से खून बहने लगा. यह देखकर द्रौपदी बहुत दुखी हुई और उन्होंने अपनी साड़ी का टुकड़ा चीरकर कृष्ण की अंगुली पर बांधा था. तभी से रक्षन बंधन मनाने की परंपरा चली आ रही है
रक्षा बंधन से जुड़े कुछ एतिहासिक एवं पौराणिक तथ्य
द्रौपदी और श्री कृष्ण की कथा
महाभारत की मान्यताओं के अनुसार जब श्री कृष्ण जी का शिशुपाल के साथ युद्ध चल रहा था तक उस दर्मायं श्री कृष्ण जी की उंगली ज़ख़्मी हो गई थी जिसको देखकर द्रौपदी ने अपनी साड़ी का टुकड़ा फाड़कर उनकी ऊँगली पर बांध दिया था फिर जब द्रौपदी का भरे दरबार में चीरहरण किया जा रहा था तब श्री कृष्ण ने द्रौपदी की रक्षा की थी
सची और इंद्रा देव की कथा
कई सालों से इंद्र देव और असुरों के राजा बलि का युद्ध चल रहा था जिससे इंद्रा देव की पत्नी बहुत परेशान थीं इस युद्ध को समाप्त करवाने के लिए सची जो की इंद्र देव की पत्नी थीं विष्णु जी के पास गई समाधान के रूप में विष्णु जी ने सची को एक धागा दिया और कहा की इसे इंद्र देव की कलाई पर बांध दें उन्होंने वैसा ही किया जैसे ही सची ने उनकी कलाई पर धागा बंधा युद्ध समाप्त हो गया
इसलिए ही पुराने समय में भी युद्ध में जाने से पहले राजा-सैनिकों की पत्नियां और बहने उन्हें रक्षा सूत्र बांधा करती थी, जिससे वो सकुशल जीत कर लौट आएं
रानी कर्मावती और मुग़ल बादशाह हुमायूँ
ऐसा हो नहीं सकता की रक्षा बंधन का जिक्र हो और रानी कर्मावती और मुग़ल शासक हुमायूँ का जिक्र ना हो ये एतिहासिक घटना उस वक़्त की है जब चित्तोड़ के राजा विक्रमादित्य पर गुजरात के उस वक़्त के सुलतान बहादुरशाह ने हमला कर दिया इस हमले से बचने के लिए राज की पत्नी रानी कर्मावती ने सेठ पद्मशाह के हाथों मुग़ल बादशाह हुमायूँ को एक चिट्ठी भेजी सहायता के लिए और साथ में एक राखी भी भेजी चिट्ठी में ये सन्देश था की वो दुश्मनों से बचाए
उस समय हुमायूँ का काफिला ग्वालियर में जब उसे सन्देश और वो राखी मिली तब उसने फ़ौरन अगर और दिल्ली तक ये सन्देश पहुँचाया की तुरंत फौजों को चित्तोड़ की और भेजा जाये और राजा विक्रामादित्य और रानी कर्मावती की सहायता करें मगर जब तक मुग़ल फौजें चित्तोड़ पहुंचती सुल्तान बहादुरशाह विक्रामादित्य से जीत चूका था
रानी कर्मावती और महल की सारी महिलाओं ने जौहर कर लिया और अपने आपको को दुश्मनों के हाथों से बचा लिया
अलग अलग राज्यों में किस नाम से मनाया जाता है रक्षा बंधन
हमारा देश बहुत बड़ा है यहाँ कई राज्य है जहाँ अलग अलग बोलिया अलग अलग संस्कृतिया हैं उसी तरह त्योहारों को मानने का और उनको जानने का भी सब अलग तरीका है वैसे ही रक्षा बंधन को भी हर क्षेत्र में अलाग नाम से जाना जाता है और उसको मानने के तरीके में भी भिन्नता होती है जैसे
भारत के पश्चिमी राज्य – इन राज्यों में रक्षा बंधन को नारियल पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है चूँकि इस क्षेत्र में मछुवारे होते है तो वो इस दिन इंद्र और वरुण देवता की पूजा करते हैं और इसी दिन से मछुवारे मचिलियाँ पकड़ने का काम शुरू करते हैं इस दिन मछुवारे अच्छी किस्मत और अपनी रक्षा के लिए समुद्र में नारियल फेकते हैं और भगवान से कामना करते हैं की उनके रोज़गार में उन्हें तरक्की मिले और वो समुद्र में सुरक्षित रहें
गुजरात और आस पास – रक्षा बंधन का ये पवित्र इस क्षेत्र में पवित्रोपन्ना के नाम से भी जाना जाता यहाँ भी देश के अन्य राज्यों की तरह भाई बहन बड़े हर्ष के साथ रक्षा बंधन का त्यौहार मानते हैं बहने भाई की कलाई पर राखी बांधती हैं और साथ ही यहाँ लोग रुई को पंचगव्य में भीगकर शिवलिंग के चारो ओर बंधाते हैं
उत्तर भारत – देश के इस हिस्से में लोग रक्षा बंधन को कजरी पूर्णिमा के नाम से भी जानते हैं चूँकि उत्तर भारत में देश की सबसे ज्यादा खेती होतीहै तो वहां के किसान इस दिन को किसान अपने खेतों में गेंहूँ और दुसरे अनाजों को बिछा देते हैं और उस दिन दुर्गा माता की पूजा की जाती है और किसान उनसे आच्ची फसल के लिए प्रार्थना करते हैं
रक्षा बंधन का महत्व
हमारे देश भारत में ऐसे तो कई धर्म हैं और उनकों मानने वाले भी हैं सबके अपने अपने त्यौहार हैं मगर भाई बहन के इस पवित्र रिश्ते को मनाने का एक ही त्यौहार है रक्षा बंधन इस दिन भाई बहन के चहेरे खिले हुए होते हैं उनमे खुशियों का अलग ही संचार होता है चूँकि ये त्यौहार बह बहन का है इसलिए इसमें धर्म की कोई सीमा नहीं होती हर धर्म के लोग इस त्यौहार को मानते आ रहे हैं सदियों से और यही इस त्यौहार का उद्देश्य भी है भाईचारा
F&Q रक्षा बंधन से जुड़े हुए
कब है रक्षा बंधन ?
इस साल 2022 में 11अगस्त के दिन रक्षा बंधन का त्यौहार मनाया जायेगा इस तिथि में कुछ हेर फेर भी हो सकता है
रानी कर्मावती और मुग़ल बादशाह हुमायूँ
ऐसा हो नहीं सकता की रक्षा बंधन का जिक्र हो और रानी कर्मावती और मुग़ल शासक हुमायूँ का जिक्र ना हो ये एतिहासिक घटना उस वक़्त की है जब चित्तोड़ के राजा विक्रमादित्य पर गुजरात के उस वक़्त के सुलतान बहादुरशाह ने हमला कर दिया इस हमले से बचने के लिए राज की पत्नी रानी कर्मावती ने सेठ पद्मशाह के हाथों मुग़ल बादशाह हुमायूँ को एक चिट्ठी भेजी सहायता के लिए और साथ में एक राखी भी भेजी चिट्ठी में ये सन्देश था की वो दुश्मनों से बचाए उस समय हुमायूँ का काफिला ग्वालियर में जब उसे सन्देश और वो राखी मिली तब उसने फ़ौरन अगर और दिल्ली तक ये सन्देश पहुँचाया की तुरंत फौजों को चित्तोड़ की और भेजा जाये और राजा विक्रामादित्य और रानी कर्मावती की सहायता करें मगर जब तक मुग़ल फौजें चित्तोड़ पहुंचती सुल्तान बहादुरशाह विक्रामादित्य से जीत चूका था रानी कर्मावती और महल की सारी महिलाओं ने जौहर कर लिया और अपने आपको को दुश्मनों के हाथों से बचा लिया
रक्षा बंधन का शुभ महूरत क्या है ?
सावन मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 11 अगस्त को सुबह 10 बजकर 38 मिनट पर शुरू हो रही है, जो 12 अगस्त को सुबह 07 बजकर 06 मिनट तक रहेगी। लेकिन सावन पूर्णिमा शुरू होते है भद्रा भी लग जा रही है जो 11 अगस्त को रात 8 बजकर 35 मिनट तक रहेगी।
क्या है रक्षा बंधन ?
इंसान की ज़िन्दगी में बहुत सारे रिश्ते होते हैं जिनको उसे नीभाना होता है मगर उन सब रिश्तों में से एक रिश्ता बहुत खास और सबके दिनल के करीब होता है भाई- बहन का रिश्ता और इस रिश्ते को एक दिन बड़े प्यार और धूमधाम से भारत और जहाँ भी भारतीय रहते हैं मनाया जाता है
रक्षा बंधन (राखी) बंधने का मंत्र
येन बद्धो बलि राजा, दानवेन्द्रो महाबल: तेन त्वाम् प्रतिबद्धनामि रक्षे माचल माचल:।
रक्षा बंधन सिंदूर, रोली चंदन लगाने का मंत्र
“सिन्दूरं सौभाग्य वर्धनम, पवित्रम् पाप नाशनम्। आपदं हरते नित्यं, लक्ष्मीस्तिष्ठति सर्वदा॥
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