Sengol Kya hai | Sengol Rajdand Ka Itihaas Hindi

28 मई 2023 के दिन प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने संसद भवन का उद्घाटन करेंगे प्रधानमंत्री को पवित्र संगोल Sengol इस कार्यक्रम के दौरान दिया जाएगा, सेंगोल को राजदंड भी कहा जाता है सेंगोल भारतीय संस्कृति का एक अहम हिस्सा है मगर बहुत से लोग नहीं जानते हैं की ये क्या होता है और इसका उपयोग किस युग में किसकी द्वारा किया जाता था

हम hindeeka में आपके हर सवाल का जवाब देने को पूरी कोशिश करते हैं ताकि आपको आपके सावालों के जवाब तब मिल सकें जिस समय उसकी ज़रूरत हो आज हम बात करने वाले हैं सेंगोल की जिसे प्रधानमंत्री को दिया जायेगा जब वो नए संसद भवन का उद्घाटन करेंगे इस आर्टिकल में हम जानेंगे की क्या है सेंगोल ? किस काम में उपयोग होता है सेंगोल ? किस युग में इसका उपयोग हुआ करता था ? आइये शुरू करते हैं

क्या होता है सेंगोल ?

Sengol Kya hai

अक्सर धर्म गुरुओं के पास आपने एक छड़ी या डंडे जैसी चीज़ देखी होगी यहाँ तक की आपने ईसाईयों के पोप के हाथों में भी इसी तरह की एक चीज़ देखी होगी ये एक तरह की प्रतिक है जिससे पता चलता है की सत्ता और आदेश देने का अधिकार उसके पास है जिसके हाथों में ये है इसी वजह से इसे राजदंड भी कहा जाता है

भारत में ये परम्परा प्राचीन काल से चली आ रही है इसका प्रमाण चोल वंश के राजाओं के इतिहास का अध्ययन से पता चलता है जब चोल वंश के राजा अपना उत्तराधिकारी चुन लेते थे और अपनी सत्ता का हस्तांतरण उसके हाथों में किया करते थे तब वो सेंगोल Sengol उसे दिया करते थे ये प्रथा आज भी दक्षिण भारत में चलती है

कैसा होता है सेंगोल ?

एक सुनहरे रंग का होता है सेंगोल जो प्रतिक है गौरवशाली भारतीय इतिहास का इसके उपरी हिस्से में भगान शिव और उनकी सवारी नंदी को उकेरा गया है नंदी के ज़रा सा निचे अगर आपकी नज़र जाती हैतो वहां आपको दो झंडे नज़र आते हैं ये सारे प्रतिक न्याय, धर्म, भारत की बढ़ती महत्वाकांक्षाओं और इच्छाशक्ति को दर्शाते हैं

नए संसद भवन में कहाँ रखा जायेगा सेंगोल ?

अभी जहाँ देखिये नए संसद भवन की बाते हो रही हैं हर कोई जानना चाहता है की कैसा है नया संसद भवन और क्या क्या खूबियाँ है उसकी इन्हीं बाटों में आपका ध्यान भी यक़ीनन सेंगोल पर भी गया होगा की आखिर इस सेंगोल को कहाँ रख जायेगा संसद भवन में तो दोस्तों इस नए संसद भवन में राजदंड (Sengol) को भी स्पीकर की सीट के पास स्थापित किया जाएगा इस संबंध में देश के गृहमंत्री अमित शाह ने भी सेंगोल को देश की समृद्ध सभ्यता का प्रतीक बताते हुए एक ट्वीट किया था

ये भी ज़रूरी है पढ़ना – नए संसद भवन का डिज़ाइन किसने किया है ?

देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहल लाल को भी दिया गया था

हममे से बहुत से दोस्त ऐसे भी होंगे जिन्हें नहीं पता की सेंगोल क्या है और क्या इसको पहली बार किसी प्रधानमंत्री को सौंपा जा रहा है भारत के एक लम्बे संघर्ष के बाद अंग्रेज़ी हुकूमत से आज़ादी मिली थी जब देश आज़ाद हुआ तब पहले प्रधानमंत्री हुए पंडित जवाहर लाल नेहरु

भारत के आखरी वायसराय लार्ड माउंटबेटन को ये सेंगोल दिया गया था बड़े सम्मान के साथ ताकि वो इसे श्री लाश्री अंबलवाण देसिगर स्वामी के डिप्टी श्रीकुमारस्वामी तम्बिरन को सौंप दिया जोकि तमिलनाडु से आये थे फिर सेंगोल को पवित्र जल से अच्छी तरह से पवित्र किया गया और साथ ही तमिलनाडू की प्राचीन परंपरा के अनुसार विशेष थेवरम भजन और आरती का आयोजन किया गया और उस समय के प्रसिद्ध उस्ताद टीएन राजरथीनम ने नादस्वरम बजाया था ये सब आयोजन होने के बाद श्री कुमारस्वामी थम्बिरन ने अर्ध रात्रि में ही जवाहर लाल नेहरू के माथे पर तिलक करके उन्हें सेंगोल सौंप दिया था जो सत्ता हस्तांतरण का प्रतीक बना

अभी तक कहाँ था वो सेंगोल

जब से देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु को सेंगोल दिया गया था सत्ता के हस्तांतरण की तौर पर उसके बाद से ये इलाहाबाद (प्रयागराज) के एक संग्रहालय में है इस बात की जानकारी देश के गृह मंत्री अमित शाह ने दी मीडिया से बात करते समय उन्होंने ये भी कहा की इसकी सही जगह संसद भवन में है और जब नए संसद भवन का उद्घाटन किया जा रहा है और इससे अच्छा समय कोई नहीं हो सकता इसके स्थापना का

क्या विशेषता है नए संसद भवन की ?

दोस्तों प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 10 दिसम्बर 2020 के दिन Central Vista Project के तहत नए संसद भवन के ईमारत की नीव रखी थी इसको बनाने में बहुत कम समय लगा जिसका सारा श्रेय इसको बनाने वाले इंजिनियर और मजदूरों को जाता है ये ना केवल देखने में सुन्दर और भव्य है साथ ही ये सुरक्षा के लिहाज से भी काफी अच्छी ईमारत है

प्रधनमंत्री 28 मई 2023 के दिन रविवार को इस नए संसद भवन का उद्घाटन करेंगे जिसकी चर्चा ना सिर्फ भारत में बल्कि विदेशों में भी की जा रही है हर कोई जनना चाहता है की क्या क्या विशेषताएं हैं नए संसद भवन की आइये कुछ बिन्दुओं से इस ईमारत की विशेषताओं के बारे में चर्चा कर लेते हैं

  1. नए संसद भवन में चार मंजिले होंगी जोकि पूरी तरह से भूकंप रोधी बनाई गई है इस इमारत की सबसे खासबात है इसके चारो तरफ फैली हुई हरियाली
  2. यहां लोकसभा में 888 सीटें और राज्यसभा में 384 सीटें हैं. जबकि पुरानी संसद में लोकसभा के लिए 550 सीटें और राज्यसभा में 250 सीटें ही थीं यानी यहाँ कुल 1272 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था होगी
  3. इस इमारत में लोकसभा एवं राज्यसभा के साथ साथ एक बड़ा सा सेंट्रल हॉल है इसके अलावा विशाल लाइब्रेरी भी इसी ईमारत में मौजूद है
  4. इस नए संसद भवन में तीन मुख्य द्वार बनाये गए हैं जिनका नाम क्रमशः ज्ञान द्वार, शक्ति द्वार, और कर्म द्वार रख गया है इस ईमारत में एक सेंट्रल लाउंज बनाया गया है जहाँ खुले हिस्स्से में एक बरगद का पेड़ भी लगाया गया है
  5. इन Central Vista Project के तहत बने नए संसद भवन में लोकसभा को राष्ट्रीय पक्षी मोर की थीम पर और राज्य सभा को राष्ट्रिय फूल कमल की थीम पर बनाया गया है
  6. इस नए संसद भवन में लोकसभा राज्यसभा आयर सेंट्रल हॉल की खिडकिया एक दुसरे से अलग अलग आकार एवं डिज़ाइन की हैं
  7. नए संसद भवन में ऐसी बहुत सी बाते होंगी जो विश्व में किसी भी देश की संसद भवन में नहीं है इस बात को सुनीश्चित करने के लिए इसके डिजाईन से पहले एक टीम का गठन किया गया उस टीम ने विश्व में सबसे खास कहे जाने वाली जर्मनी, इजिप्ट, क्यूबा और सिंगापुर की संसद का दौरा किया था.
  8. इस नए संसद भवन में सेंगोल को स्थापित किया जायेगा जो स्पीकर की सीट के दायें तरफ होगा
  9. इस संसद भवन में सभी सदस्यों के लिए डेस्क की व्यवस्था की गई है टाक इ सदस्यों को अगर्कुच नोट करना है तो वो आसानी से अपनी जगह पर बैठे बैठे जो नोट करना चाहते हैं वो कर सकें
  10. Central Vista Project 2019 में शुरू हुआ था. इसी के तहत नया संसद भवन बनाया गया है, जो 65400 वर्ग फीट क्षेत्रफल में होगा.नए संसद भवन के निर्माण पर तकरीबन 1200 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं
सेंगोल से सम्बंधित अन्य सवाल F&Q

क्या है सेंगोल ?

अक्सर धर्म गुरुओं के पास आपने एक छड़ी या डंडे जैसी चीज़ देखी होगी यहाँ तक की आपने ईसाईयों के पोप के हाथों में भी इसी तरह की एक चीज़ देखी होगी ये एक तरह की प्रतिक है जिससे पता चलता है की सत्ता और आदेश देने का अधिकार उसके पास है जिसके हाथों में ये है इसी वजह से इसे राजदंड भी कहा जाता है

सेंगोल का क्या इतिहास है ?

भारत में ये परम्परा प्राचीन काल से चली आ रही है इसका प्रमाण चोल वंश के राजाओं के इतिहास का अध्ययन से पता चलता है जब चोल वंश के राजा अपना उत्तराधिकारी चुन लेते थे और अपनी सत्ता का हस्तांतरण उसके हाथों में किया करते थे तब वो सेंगोल Sengol उसे दिया करते थे ये प्रथा आज भी दक्षिण भारत में चलती है

सेंगोल कैसा दिखता है ?

एक सुनहरे रंग का होता है सेंगोल जो प्रतिक है गौरवशाली भारतीय इतिहास का इसके उपरी हिस्से में भगान शिव और उनकी सवारी नंदी को उकेरा गया है नंदी के ज़रा सा निचे अगर आपकी नज़र जाती हैतो वहां आपको दो झंडे नज़र आते हैं ये सारे प्रतिक न्याय, धर्म, भारत की बढ़ती महत्वाकांक्षाओं और इच्छाशक्ति को दर्शाते हैं

अभी तक सेंगोल कहाँ था ?

जब से देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु को सेंगोल दिया गया था सत्ता के हस्तांतरण की तौर पर उसके बाद से ये इलाहाबाद (प्रयागराज) के एक संग्रहालय में है इस बात की जानकारी देश के गृह मंत्री अमित शाह ने दी मीडिया से बात करते समय उन्होंने ये भी कहा की इसकी सही जगह संसद भवन में है और जब नए संसद भवन का उद्घाटन किया जा रहा है और इससे अच्छा समय कोई नहीं हो सकता इसके स्थापना का

सेंगोल को कहाँ स्थापित किया जाना है ?

नए संसद भवन में सेंगोल को स्थापित किया जायेगा जो स्पीकर की सीट के दायें तरफ होगा

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