आपने अक्सर सुना होगा समाचारों में या पढ़ा होगा शरीया के बारे में मगर शायद आप ये नहीं जानते होंगे की ये शरिया होता क्या है आज हम आपको बताएँगे की ये क्या होता है, इस्लामिक कानून का नाम शरिया Sharia है इसमें किसी मुस्लिम के जीवन से जुडी हर एक बात के बारे में निर्देश दिए गए हैं की किस तरह जैसे की किस तरह शादी होनी चाहिए किस तरह के कपडे पहनने चाहियें औरतों और बच्चों के साथ कैसा बर्ताव होना चाहिए वगैरह वगैरह।
क्या है शरिया What is Sharia Law
एक ऐसा इस्लामिक निर्देश जो की हर मुस्लिम को मानना ज़रूरी है शरीया को सिर्फ एक कानून की तरह नहीं देखा जा सकता इसमें किसी मुस्लिम के पैदाइश से लेकर उसको दफन करने तक हर एक बात के बारे में निर्देश दिए गए जैसे की कैसे कपडे पहनने चाहिए कैसे और क्या खाना चाहिए शादी किससे और कैसे करनी चाहिए तलाक का क्या रास्ता और कारण हो सकता है कैसा काम करना चाहिए कौन सा व्यापार नहीं करना चाहिए यानी सब कुछ
शरीयत यानी शरीया Sharia का निर्धारण मुख्यतः 2 बातों को ध्यान में रख कर किया जाता है एक तो इसमें हुज़ूर मोहम्मद सल्ललाहो वसलम साहब ने जो ज़िन्दगी जीने के तरीके बताये जिसे सुन्नाह कहा जाता है उसका बहुत बारीकी से ख्याल रखा जाता है दूसरे ये की इसमें क़ुरआन शरीफ़ में क्या बताया गया है की कैसी होनी चाहिए ज़िन्दगी किसी मुस्लिम की इन बातों का ध्यान रखा जाता है कुछ हद तक इसमें समय समय पर दिए जाने वाले फतवों ( सुझावों ) को भी शामिल किया जाता है जो कई बार विवाद की स्तिथि उत्पन्न कर देते हैं
शरीयत या शरीया का सबसे बड़ा मक़सद ये है की मुस्लिम लोगों को ये समझाया और बताया जाए की वो अल्लाह के बातये हुए रस्ते पर कैसे चले और क्या क्या नियन है उसपर चलने के
शरीया को कितने भागों में बांटा गया है
इस्लामिक कानून यानि शरीया Sharia को मुख्यतः दो भागों में बांटा गया है
- हद
- तज़िर
हद के अंतर्गत आने वाले गुनाहों को समझने के लिए आप ये समझ लिए की कोई ऐसा गुनाह जिसके लिए सख्त से सख्त सज़ा दी जानी चाहिए उसके अलावा कोई चारा न रह जाए उसे हद के कहा जाता है इसमें चोरी भी हद के दायरे में आती है जिसकी सज़ा हाथ काटना तक भी हो सकती है अगर किसी ने किसी महिला के साथ कुछ बदसलूकी की तो उसे पत्थर मार मार के जान से मार दिया जाना भी एक क़िस्म की सज़ा है ऐसा करने के पीछे ये सफाई दी जाती है की हद गुनाहों की सज़ा ऐसी होनी चाहिए जिसको सून कर ही लोगों की रूह काँप जाए और वो ततो क्या दूसरा भी कभी इस बारे में सोचे भी नहीं
तज़िर के अंतर्गत आने वाले गुनाह ऐसे गुनाह होते हैं जिसके लिए या तो माफ़ी दी जा सकती है या तो सज़ा देने वाले के ऊपर छोड़ दिया जा सकता है की गुनहगार को क्या और कितनी सज़ा दी जानी चाहिए उसके द्वारा किए गए गुनाह की
नोट :- संयुक्त राष्ट्र ने पत्थर से मरने वाली सज़ा पर प्रतिबन्ध लगा दिया गई उसका कहना है “यातना, क्रूरता, अमानवीय और अपमानजनक सजा है और अनुचित है।” ये बात भी जाननी ज़रूरी है की हर मुस्लिम देश इन सज़ाओं को मान्यता नहीं देता
आप जानते हैं क्यों मुहर्रम क्या है
शरीया कानून के कितने सिद्धांत हैं
शरीया Sharia कानून के मुख्यतः 5 सिद्धांत हैं इनमें से 4 सुन्नी मुसलमान के हैं जो की हनबली, मलिकी, शफ़ी और हनफ़ी और एक शिया मुसलमानों के जिसे शिया ज़ाफ़री कहा जाता है
बैंकिंग शरीया कानून के हिसाब से
जीवन जीने के तरीकों को तो शरीया से नियंत्रित किया ही जाता है आपको शायद जानकर हैरानी होगी की शरिया में बैंकिंग के तरीकों व्यपार के तरीकों का भी ज़िक्र बड़ी ही बारीकी से किया गया है
इसके तहत व्यापार करने के लिए सबसे पहली शर्त ये है की व्यापार किसी को धोखा देकर न शुरू किया जाए ना ही उसको संचालित किया जाए जो भी सौदा किया जाए उसमें पूरी तरह से ईमानदारी का ध्यान रखा जाए इसमें जमाखोरी, मिलावट, कालाबाज़ारी, आदि का कोई भी स्थान नहीं होता
इस्लामिक बैंकिग प्रणाली के कुछ ख़ास सिद्धांत
- रिबा (ब्याज, Intrest)
- क़ीमार (जुआ)
- जाहला (अज्ञानता)
- घरार (जोखिम)
- हलाल
- हराम
रिबा (ब्याज, Intrest)
किसी किस्म का कोई भी ब्याज लेना और देना दोनों ही सख्ती से मना किया गया है शरीया में
क़ीमार (जुआ)
इस्लाम में सख्ती से मना किया गया है जुआ खेलने को अब वो चाहे जिस रूप में हो ऐसा मना जाता है की अक्सर इंसान नशे की हालत में जुआ खेलता है और एक तो गुनाह उसने किया शराब या कोई नशा कर के दूसरे वो अपने पैसे जिससे वो अपने घर वालों की मदद या उनकी परवरिश कर सकता है उससे वो जुआ खेले और उनकी हक़ का पैसा अपनी गलत आदतों में बर्बाद करे इस लिए जुआ सख्ती से मना किया गया है
जाहला (अज्ञानता)
जाहला का मतलब होता है अज्ञानता किसी बात से अज्ञानता या किसी ख़ास वजह से कोई बात छुपकर किया गया कोई व्यापारिक व्यवहार जाहला कहलाता है इसमें ये सोचा जाता है की किसी एक पक्ष को इस तरह के व्यवहार से नुक्सान होने का अंदेशा होता है
घरार (जोखिम)
घरार को शरिया कानून में जोखिम के रूप में परिभाषित किया गया है, या “अनिश्चित भुगतान के साथ एक शून्य-राशि खेल” के बराबर लेनदेन के रूप में परिभाषित किया गया है। अत्यधिक अनिश्चितता और इसमें शामिल जोखिम के कारण घरार की बिक्री अमान्य है, जो उन्हें जुए के समान बनाती है।
हलाल
हलाल का मतलब वो काम जिसकी इस्लाम में इजाज़त है और किसी किस्म की कोई पाबंदी नहीं
हराम
वो काम जो हलाल नहीं है वो हराम की श्रेणी में आता है जैसे वेश्यावृत्ति, जुआ, और शराब या सूअर का मांस का सेवन हानिकारक और अशुद्ध माना जाता है और इसे हराम घोषित किया जाता है।
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