abdul habib yusuf marfani ne diye 1 crore neta ji ko

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देश की आज़ादी के नायकों का जब भी ज़िक्र होता है नेता जी और उनके सिपाहियों उनके समर्थकों का नाम कहीं धीमी आवाज़ में गुम हो जाता है ऐसा इस लिए क्योंकि उनके बारे में ना कभी किसी इतिहासकार ने ठीक से लिखा ना ही उन लोगों ने उनका नाम सामने आने दिया जो लोग अपना ना आगे रखना चाहते थे यूं तो नेता जी के हज़ारों समर्थक और साथी थे मगर आज हम बात करने वाले हैं अब्दुल हबीब युसूफ मर्फ़ानी Abdul Habib Yusuf Marfani  की इन्होने ना सिर्फ नेता जी का भरपूर साथ दिया बल्कि उनके Indian National Army को 1 करोड़ रुपये भी भेंट कर दिया था वो एक करोड़ रूपए आज की तारीख में 10 हज़ार करोड़ के बराबर हैं

कौन थे अब्दुल हबीब युसूफ मर्फ़ानी

गुजरात के सौराष्ट्र इलाके के धोराजी शहर के एक मुस्लिम व्यापारी थे जो कि मेमन समाज से आते थे इनका जन्म भी समभवतः यहीं धोराजी में हुआ था इनके माता पिता के बारे में कोई जानकारी उपलब्ध नही है जिस तरह गुजराती नागरिकों और वहां के व्यापारियों ने महात्मा गांधी का समर्थन और सहयोग किया था वैसे ही अब्दुल हबीब युसूफ मर्फ़ानी Abdul Habib Yusuf Marfani  ने नेता जी सुभाष चंद बोस के साथ दिया था

1 करोड़ जमा किया आज़ाद हिन्द बैंक में 

वो दौर था की जब हर कोई गुलामी की ज़ंजीरों को तोड़ देना चाहता था लोग अंग्रज़ी हुकूमत के ज़ुल्मों से और गुलामी की ज़िन्दगी से अब उगता चुके थे इस गुलामी से लड़ने के लिए दो तरह की विचारधाराएं थी एक महात्मा गाँधी जी की अहिंसा की विचारधारा और दूसरी थी चाहे जैसे भी हो आज़ादी इस दूसरी विचारधारा का उस समय सबसे बड़ा नाम था नेता जी सुभाष चंद्र बोस

नेता जी ने एक आर्मी बनाई थी जिसका नाम था Indian National Army जिसके लिए हथियार असलहे की ज़रूरत थी इस के लिए वो सबसे सहयोग चाहते थे अपने मुहीम के लिए उन्होंने एक नारा भी दिया था “तुम मुझे खून दो मैं तुम्हे आज़ादी दूंगा” अपने मकसद के लिए वो हर जगह जाए कर लोगों से समर्थन और सहयोग मांग रहे थे

इसी सिलसिले में वो 9 जुलाई 1944 के दिन रंगून में थे जहाँ उन्होंने  Indian National Army की स्थापना की उनका साथ देने तब गुजरात का  ये प्रवासी व्यापारी सामने आया नाम था अब्दुल हबीब युसूफ मर्फ़ानी Abdul Habib Yusuf Marfani  मर्फ़ानी नेता जी को अपनी पत्नी के ज़ेवर और रुपयों से भरा एक बैग दिया था जिसमें 1 करोड़ रूपये थे ये रकम मर्फ़ानी ने आज़ाद हिन्द बैंक में जमा करवाई थी 

मर्फ़ानी पहले ऐसे इंसान थे जिन्हीने Indian National Army को सहयोग किया था के बाद रंगून और सिंगापुर में रहने वाले भारतियों और अन्य लोगों ने भी काफी बढ़चढ़ कर दाएं किया जिससे नेता जी और Indian National Army का हौसला बुलंद हुआ

 

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क्या कहते हैं इतिहासकार

एक इतिहासकार राजमल कासलीवाल अपनी किताब में लिखते हैं की ‘नेताजी, आज़ाद हिंद फौज एक कार्यक्रम मे कहते हैं, “रंगून के एक मुस्लिम बर्मी (अब्दुल हबीब युसूफ मर्फ़ानी Abdul Habib Yusuf Marfani)  बिजनेस मैग्नेट ने एक करोड़ रुपये की नकद और आभूषण दान किया और स्वतंत्रता आंदोलन में अपनी सेवाएं दीं।” अपनी पतनी के एक तबक भर गहने लाकर उसे पूरी तरह से खाली करने के बाद बोस के सामने रुपियों भरा एक बंडल रखा, नेता ने इशारा करते हुए कहा, “भाई! मैं आज बहुत खुश हूं कि लोगों ने अपने कर्तव्यों को साकार करना शुरू कर दिया है … लोग सबकुछ बलिदान करने के लिए तैयार हैं। हबीब सेठ ने जो भी किया है वह सराहनीय है और जो लोग मातृभूमि की सेवा में उनका अनुकरण करते हैं वे वास्तव में सराहनीय हैं,

सेवक-ए-हिन्द

आज़ाद हिन्द बैंक में जब अब्दुल हबीब युसूफ मर्फ़ानी Abdul Habib Yusuf Marfani  ने 1 करोड़ रूपये जमा किये तब नेता जी ने उन्हें गले लगा लिया और कहा Till the time we have sons of motherland like Abdul Habib Yusuf Marfani,no power on this planet can dare to stop us and keep India enslaved any longer”.जब तक, हमारे पास, अब्दुल हबीब यूसुफ मारफनी जैसे मातृभूमि के सपूत रहेंगे, तब तक इस ग्रह पर स्थित किसी भी ताकत की हैसियत नहीं होगी वह लम्बे समय तक हमे गुलाम बना कर रख सके।” और उन्होंने मर्फ़ानी को सेवक-ए-हिन्द का पदक भी दिया इस पदक से नेताजी सुभाष चंद्र बोस के हाथों सम्मानित होने वाले मर्फ़ानी पहले खुसनसीब इंसान थे।

 

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