दुनियाँ भर के मुसलमानों के लिए रमज़ान का महिना बेहद खास होता है वो 30 दिन इस महीने मने रोज़े रखते हैं उसके बाद शव्वाल के महीने के पहले दिन Eid का त्यौहार मनाया जाता है, ऐसा माना जाता है की अल्लाह 30 दिन के रोजों और इबादतों के बदले उन्हें ईद का ये जश्न तोहफे में देते हैं आज इस आर्टिकल के माध्यम से हम जानेंगे क्या हिया ईद? क्यों मनाई जाती है ईद क्या ईद का इतिहास
क्या है ईद ?
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ईद Eid एक अरबी शब्द है जिसका हिंदी में अर्थ होता है त्यौहार या खुशियाँ मनाना इस दिन सभी मुस्लिम नमाज़ पढ़ने के लिए ईद गाह जाते है नए नए कपडे पहनते हैं और सेवियों से अपना और अपने दोस्तों पड़ोसियों सबका मूह मीठा करवाते है ये दुनियाँ भर के मुसलमानों का सबसे महत्वपूर्ण त्यौहार है
2022 में कब है ईद ?
इस्लामिक कैलंडर में रमजान 9 वां महिना होता है और शव्वाल 10 वां महिना होता है इस्लामिक कैलंडर चाँद के हिसाब से चलता है जब तक चाँद का दीदार नहीं हो जाता है तब तक रमजान के महीने को ख़त्म नहीं माना जाता है रमज़ान के महीने के आखरी दिन चाँद दिख जाने पर ही अगली सुबह ईद Eid मनाई जाती है इस साल यानी 2022 में ईद-उल-फीतर 3 मई के दिन मनाई जाएगी
क्यों मानते है मुसलमान ईद का त्यौहार ?
हज़रत मुहोम्मद साहब ने जब 624 ईस्वी में बद्र की जंग में फ़तह हासिल की करीब 1400 साल पहले उसके बाद वो पवित्र शहर मदीना चले आये उनके आने और उनकी जीत की खुशियाँ मानने के लिए लोगों में एक दुसरे को मिठाइयाँ खिलाई और अपनी ख़ुशी का इज़हार किया इस दिन से ही ईद-उल-फितर की शुरुवात हुई थी इसी दिन से ईद Eid मनाने कि परंपरा शुरू हुई
ईद कैसे मनाई जाती है ?
निहायत ही खुशियों का त्यौहार है ईद Eid वो जिन्होंने एक महीने का रोज़ा रखा उनके चेहरे चमकते हैं ईद के दिन और सब इस ख़ुशी में शामिल होते हैं सुबह से शुरू होता है ईद का जश्न जब सब नहा कर नए नए कपडे पहनते हैं फिर सेवइयों से मूह मीठा कर ईदगाह जाते हैं नमाज़ पढने नमाज़ के बाद वो दुआ माँगते हैं अपने मुल्क दुनियाँ और सभी की खुशियों और तरक्की के लिए
इस दिन लोग एक दुसरे के घर जाते हैं गले मिलकर ईद की बधाइयाँ देते हैं एक दुसरे को और मूह मीठा करते है मुसलमानों का ये सबसे एहम त्यौहार हैं जिसके लिए बाज़ार भी तैयारियां करता है लोग दूर दूर से ईद मानने अपने घरों को वापस आते हैं ताकि वो अपने लोगों के साथ इस ईद का मज़ा ले सकें ईद का इंतज़ार बच्चों को इसलिए भी होता है क्योंकि उनके बड़े उन्हें ईदी देते हैं सलाम करने के बदले
इसे पढ़ें – क्यों रोज़े रखते हैं मुसलमान ?
इस्लाम के 5 कौन कौन से सिद्धांत हैं ?
इस्लाम धर्म के 5 महत्वपूर्ण सिद्धांत होते हैं जिन्हें पूरा करना हर एक मुस्लिम का सबसे पहले कर्तव्य होता है वो 5 सिद्धांत इस प्रकार हैं
- कलमा
- नमाज़
- ज़कात
- रोज़ा
- हज
ज़कात क्या है ?
एक किस्म का ये टैक्स है जो मुसलमानों पर इस्लाम धर्म ने लागु किया हुआ है जो की बेहद ज़रूरी है रमज़ान के महीने में 30 दिन रोज़े रखने के बाद और ईद Eid की नमाज़ से पहेल अपनी हैसियत के हिसाब से हर मुस्लिम को ज़कात और फितरा देना जरूरी है.
ज़कात के बारे में पैगम्बर मुहोम्मद साहब फ़रमाते हैं की “जो लोग रमजान के महीने में जकात नहीं देते हैं, उनके रोजे और इबादत कुबूल नहीं होती है, बल्कि धरती और जन्नत (Heaven) के बीच में ही रूक जाती है”
अपनी साल भर की कमाई से अपने और अपने परिवार के खर्चों और ज़रूरत के बाद को पैसे बच जाते हैं उसमे से 2.5 % हर साल ईद की नमाज़ के पहले उन लोगों में बाँटना ज़रूरी बताया गया है जो उसके हक़दार हों इससे ही ज़कात कहा जाता है ये ज़कात खासकर गरीबों, विधवा महिलाओं, अनाथ बच्चों या किसी बीमार व कमजोर व्यक्ति को दी जाती है.
अगर किसी मुस्लिम मर्द या औरत के पास गहने है तो वो भी ज़कात के दायरे में आते हैं यानी उस गहने की उस वक़्त जब ज़कात देना हो क्या कीमत है उसका 2.5% ज़कात देना होता है
फितरा क्या है ?
ऐसे लोग जो साधन सम्पन्न होते हैं जिनके पास किसी चीज़ की कोई कमी नहीं होती वो गरीबों में पैसे बांटते हैं इसको ईद की नमाज़ से पहले बांटना ज़रूरी होता है ताकि वो लोग भी ईद की खुशियाँ मना सकें जिनके पास पैसे नहीं है
फितरे से ये होता है की वो लोग जो ईद नहीं मना सकते पैसों की कमी से वो भी ईद की सभी खुशियाँ मना सकते हैं ईद के दिन गरीब और आमिर दोनों खुश हों ये फितरे का मुख्य उद्देश्य है इसमें ज़कात की तरह कोई प्रतिशत नहीं है ये देने वाले की हैसियत और उसकी ख़ुशी पर निर्भर करता है की वो कितना फ़ितरा देना चाहता है
ईद मुबारकबाद के मेसेज
ऐसे तो सबसे बेहतरीन तरीका है ईद के मुबारकबाद देने का के जीको मुबारकबाद देनी हो उसके घर जाएँ और उसको गले लगाकर मुबारकबाद दी जाए सेवईयों के मीठे ज़ायके के साथ मगर ये ज़रूरी नहीं लकी हर कोई अब एक शहर में हों रोज़ी रोटी की तलाश में अब हर कोई अपनों से दूर होने को मजबूर हो गया है ऐसे में अब फ़ोन पर मेसेज के ज़रिये मुबारकबाद दी जा सकती है आइये देख लेते हैं कुछ ऐसे ही मेसेज
ईद का त्योहार आया है,
खुशियां अपने संग लाया है…
खुदा ने दुनिया को महकाया है,
देखो फिर ईद का त्योहार आया है!
आप सभी को दिल से ईद मुबारक!
चांद से रोशन हो त्योहार तुम्हारा
खुशी से भर जाए आंगन तुम्हारा
हर शिकायत हो दूर तुम्हारी
बस यही है दुआ हमारी
आप सभी को ईद मुबारक
रात को नया चांद मुबारक,
चांद को चांदनी मुबारक,
फलक को सितारे मुबारक,
सितारों को बुलंदी मुबारक,
और आपको हमारी तरफ से ईद मुबारक
चुपके से चांद की रौशनी छू जाये आपको;
धीरे से ये हवा कुछ कह जाये आपको;
दिल से जो चाहते हो मांग लो खुदा से;
हम दुआ करते हैं वो मिल जाये आपको.
ईद मुबारक।
समुद्र को उसका किनारा मुबारक
चांद को सितारा मुबारक
फूलों को उसकी खुशबू मुबारक
दिल को उसका दिलदार मुबारक
आपको और आपके परिवार
को ईद का त्यौहार मुबारक
कोई इतना चाहे तुम्हें तो बताना,
कोई तुम्हारे इतने नाज उठाए तो बताना,
ईद मुबारक तो हर कोई कह देगा तुमसे,
कोई हमारी तरह कहे तो बताना।
Eid Mubarak
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क्या है ईद ?
ईद Eid अरबी शब्द है जिसका हिंदी में अर्थ होता है त्यौहार या खुशियाँ मनाना इस दिन सभी मुस्लिम नमाज़ पढ़ने के लिए ईद गाह जाते है नए नए कपडे पहनते हैं और सेवियों से अपना और अपने दोस्तों पड़ोसियों सबका मूह मीठा करवाते है ये दुनियाँ भर के मुसलमानों का सबसे महत्वपूर्ण त्यौहार है
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2022 में कब है ईद ?
2022 में ईद-उल-फीतर 3 मई के दिन मनाई जाएगी
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क्यों मानते है मुसलमान ईद का त्यौहार ?
हज़रत मुहोम्मद साहब ने जब 624 ईस्वी में बद्र की जंग में फ़तह हासिल की करीब 1400 साल पहले उसके बाद वो पवित्र शहर मदीना चले आये उनके आने और उनकी जीत की खुशियाँ मानने के लिए लोगों में एक दुसरे को मिठाइयाँ खिलाई और अपनी ख़ुशी का इज़हार किया इस दिन से ही ईद-उल-फितर की शुरुवात हुई थी
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इस्लाम के 5 कौन कौन से सिद्धांत हैं ?
इस्लाम धर्म के 5 महत्वपूर्ण सिद्धांत होते हैं जिन्हें पूरा करना हर एक मुस्लिम का सबसे पहले कर्तव्य होता है वो 5 सिद्धांत इस प्रकार हैं
कलमा
नमाज़
ज़कात
रोज़ा
हज -
ज़कात क्या है ?
एक किस्म का ये टैक्स है जो मुसलमानों पर इस्लाम धर्म ने लागु किया हुआ है जो की बेहद ज़रूरी है रमज़ान के महीने में 30 दिन रोज़े रखने के बाद और ईद की नमाज़ से पहेल अपनी हैसियत के हिसाब से हर मुस्लिम को ज़कात और फितरा देना जरूरी है.
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फितरा क्या है ?
से लोग जो साधन सम्पन्न होते हैं जिनके पास किसी चीज़ की कोई कमी नहीं होती वो गरीबों में पैसे बांटते हैं इसको ईद की नमाज़ से पहले बांटना ज़रूरी होता है ताकि वो लोग भी ईद की खुशियाँ मना सकें जिनके पास पैसे नहीं है
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