Ramzan Kya Hai | Roze Kyon Rakhte Hain

रमज़ान क्या है ( What is Ramzan, रोज़े क्यों रखते हैं मुस्लिम, इस्लामिक कैलंडर किसे कहते हैं, ईद कब मनाई जाती है, ईद कैसे मनाई जाती है, ज़कात किसे कहते हैं, खैरात क्या है, तराबीह किसे कहते हैं, फ़ितरा क्या होता है, रमज़ान 2023)

इस्लाम धर्म में रमज़ान के महीने का बहुत महत्त्व है दुनियाँ भर के मुसलमान इस महीने में रोज़े (उपवास) रखते हैं और अपना सारा दिन या कहें सारा महिना इबादत में गुज़रते हैं हर धर्म के कुछ खास दिन होते हैं जिनका उस धर्म के मानने वाले बहुत बेसब्री से इंतज़ार और उनदिनों अपने भगवान की उपासना किया करते हैं वैसे ही इस्लाम धर्म में रमज़ान के दिन होते हैं बहुत से लोग नहीं जानते हैं की रमज़ान क्या होता है तो आपको बताते चलें की ये इस्लामिक कैलेंडर का एक महिना होता है जिसके बारे में हम आगे चर्चा करेंगे

दोस्तों हम hindeeka में हर उस सवाल का जवाब देने की कोशिश करते है जो आपके दिमाग में आ जाए और जिसको जानना आपके लिए ज़रूरी हो आज हम बात करेंगे रमज़ान और इस महीने में रखने वाले उपवास यानी रोज़े की क्यों रखें जाते हैं रोज़े क्या तरीका है रोज़ा रखने का कौन रख सकता है रोज़ा आदि आइये अब शुरू करते हैं

रमज़ान क्या है What is Ramzan?

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Ramzan kya hai

इस्लामिक कैलेंडर के 9 वें महीने को रमज़ान कहा जाता है बहुत से लोग इसको रमादान भी कहते हैं मगर वो सिर्फ एक उच्चारण की बात है इस महीने की ख़ासियत ये है की इसी महीने में क़ुरान (मुस्लिम धर्म ग्रन्थ) नाज़िल (अवतरित) थी अब आपको पता चल गया होगा की क्यों खास होता है रमज़ान का महिना मुसलमानों के लिए

सबसे पवित्र महिना माना जाता है इस्लाम में रमज़ान को कहा जाता है की इस महीने के बार में पैगम्बर मुहोम्मद साहब जो की इस्लाम धर्म के संस्थापक और अल्हैंलाह के दूत हैं ने कहा है की

जब रमज़ान का महिना शुरू होता है तब दोज़ख (नर्क) के दरवाज़े बंद कर दिए जाते हैं और जन्नत (स्वर्ग) के दरवाज़े खोल दिए जाते हैं

इस महीने में दुनियाँ भर के मुसलमान रोज़े रखते हैं तराबीह पढ़ते हैं ज़कात और खैरात करते हैं क़ुरान शरीफ की तिलावत करते हैं ये रोज़े 29 या 30 दिनों के हो सकते हैं जो चाँद के नज़र आने पर निर्भर करता है

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2024 में ईद कब है ?

30 दिन रोज़े रखने के बाद रमज़ान का महीना खत्म होते ही ईद की नमाज़ पढ़ी जताई है, दुनिया भर के मुसलमानो के लिए ईद सबसे बड़ा त्योहार होता है। जिसे सारी दुनिया में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। इस साल 2024 में ईद भारत में 10अप्रैल को मनाई जाएगी।

क़ुरान शरीफ दुनियाँ में कब आई थी ?

ऐसा माना जाता है की दुनियाँ में क़ुरान शरीफ रमज़ान Ramzan के पवित्र महीने में 27 वीं तारीख की रात को आई थी इस लिए इस महीने में कुरान शरीफ (Quraan) की तिलावत (कुरान शरीफ को पढ़ना) जितना ज्यादा हो उतनी की जाती है खास तौर पर तरावीह का आयोजन किया जाता है जिसमें क़ुरान शरीफ को पढ़ा जाता है ताकि जिसे पढ़ना ना भी आता हो वो कम से कम सून सके

रोज़ा क्या है What is Roza ?

जैसा की हमको मालूम है की रमज़ान Ramzan का महिना मुस्लामानो के लिए कितना महत्वपूर्ण है इस महीने में दुनियाँ भर के मुसलमान रोज़े (Roza) रखते हैं कई दोस्तों के मन में ये ख्याल आता होगा की रोज़े का क्या मतलब होता है रोज़ा को अरबी में सौम कहा जाता है जिसका शाब्दिक अर्थ होता ठरना या रुकना और फारसी में रोज़ा का मतलब होता है उपवास अपने सभी तरह की ख्वाहीशों पर नियंरण करना सबसे अच्छा व्यवहार करना एक नेक इंसान बनना और उपवास रखना ताकि अपनी सभी इन्द्रियों पर नियंत्रण किया जा सके

रोज़े कैसे रखे जाते हैं ?

रमज़ान (Ramzan) के महीने में सबसे अहम जो सवाल होता है वो ये की कब से रोज़े रखे जायेंगे जैसे ही महीना शुरू होता है रमज़ान का रोज़े रखने शुरू कर दिए जाते हैं जिसके लिए सुबह उठ कर सेहरी (रोज़ा रखने से पहले कुछ खाना ) की जाती है जिसको सूर्योदय से पहले की नमाज़ (Namaz) जिसे फज़र कहते हैं उसकी अज़ान से पहले खाना होता है और फिर रोज़ेदार सूर्यास्त तक यानी मग़रिब के नमाज़ की अज़ान तक कुछ खा या पी नहीं सकता जब रोज़ा ख़ाल जाता है उसे इफ़्तार कहा जाता है

ये एक कठिन धार्मिक परम्परा है इस्लाम धर्म (Islam) की जिसमे सिर्फ आपको खाना पीना नहीं है साथ ही आप किसी को किसी तरह से तकलीफ नहीं पहुंचा सकते ना ही आप अपनी ज़बान से कुछ ग़लत बात बोल सकते हैं ना ही आप अपनी आँखों से कुछ ग़लत देख सकते हैं ना ही आप अपने शरीर से किसी को कोई नुकसान पहुंचा सकते हैं यहाँ तक की आप रमज़ान के महीने में सेक्स भी नहीं कर सकते और अगर आपने ऐसा किया भी तो आपको सहरी से पहले पाक साफ़ होना ज़रूरी होता है इस महीन एमें आपको अपने सारे नब्ज़ों यानी इन्द्रियों पर नियंत्रण करना होता है

क्या है रोज़े का इतिहास

ऐसा इतिहास में आता है की रोज़े की शुरुवात मुहम्मद साहब ने की थी जो इस्लाम धर्म के संस्थापक भी हैं हुआ कुछ ऐसा था की मुहम्मद साहब जब मक्के से हिजरत ( निकलकर) मदीने आये थे उसके एक साल बाद उन्होंने रोज़े रखे और उस समय से इसकी शुरुवात हुई थी

कुरआन की दूसरी आयत सूरह अल बकरा में लिखा है कि ‘रोजा तुमपर उसी तरह से फर्ज किया जाता है, जैसे तुमसे पहले की उम्मत पर फर्ज था.’

रोज़े रखने से किसको छुट होती है ?

किसे छुट दी गई है रोज़े रखने से ऐसे तो इस्लाम में रोज़े रखने का हुक्म सबके लिए है जो बालिग़ हो मगर फिर भी कुछ विशेष परिस्तिथि में रोज़े रखने से छुट दी गई है जैसे

  • वो जो किसी सफ़र पर हो
  • बीमार व्यक्ति
  • गर्भवती महिलाएं
  • ऐसी महिलाएं जिनके पीरियड्स चल रहे हो
  • छोटे बच्चे

रोज़ा कैसे रखा जाता है ?

रोज़े रखें के कुछ सख्त नियम होते हैं जैसे सुबह की नमाज़ के पहले खाया जाता है जिसे सहरी कहते हैं फिर नमाज़ पढ़ी जाती है और फिर कुरान शरीफ की तिलावत की जाती है दिन भर अपने शरीर को पाक और साफ़ रखा जाता है और कोशिश की जाती है की किसी किस्म की कोई ऐसी घटना न घटे जिससे किसी को भी परेशानी हो गरीबों की मदद करना भी इसमें शामिल है फिर शाम ढलने पर नमाज़ के पहले खाया जाता है जिसे इफ्तार कहा जाता है इस तरह का एक दिन गुज़रता है रोज़े का

सेहरी किसे कहते हैं ?

रामजान के महीन में इस्लाम धर के अनुयायी रोज़े रखते हैं जिससे पहले उन्हें कुछ खाने की अनुमति होती है सूर्योदय से पहले फ़ज़र की नमाज़ की अज़ान तक खाया जा सकता है जिसे सेहरी कहा जाता है सेहर का शाब्दिक अर्थ होता है सुबह इस लिए भी रोज़े रखने से पहले खाने की क्रिया को सेहरी कहा जाता है

इफ़्तार क्या होता है ?

सहरी के बाद रोज़ेदार कुछ भी खा पी नहीं सकता उसको दिन भर सिर्फ इबादत में गुज़ारनी होती है सबके साथ अच्चा सलूक करना होता है ऐसा नहीं की आप एक महीने के लिए ऐसा करते हैं येएक महिना रमज़ान का आपको एक अच्छा इंसान बनने में भी मदद करता है आपको सभी ताः की बुराइयों से दूर रखता है रमज़ान का ये पवित्र महीना

दिन भर रोज़ा रखने के बाद रोज़ेदार को इंतज़ार होता है मग़रिब की नमाज़ के अज़ान का जैसे ही कानों पर अज़ान की मधुर आवाज़ पड़ती है सभी रोज़ेदार खजूर और कुछ मीठा खाकर अपना रोज़ा खोलते हैं जिसे इफ़्तार कहा जाता है

तरावीह क्या होती है

एक किस्म की नमाज़ का नाम है तरावीह ये अरबी से लिया गया एक शब्द है जिसका मतलब होता है ठहरना या आराम करना इस्लाम में हर मुस्लिम व्यक्ति को दिन की 5 नमाज़े पढना ज़रूरी है मगर रमज़ान का महिना ही इबादतों का महीना है इसलिए इस महीने में इन 5 नमाज़ों के अलावा लोग कुरआन शरीफ की तिलावत भी करते हैं

तरावीह की नमाज़ रमज़ान के पहले दिन से शुरू की जाती है और रमाजन Ramzan के आखरी दिन तक पढ़ी जाती है इस नमाज में कुरआन शरीफ की हर दिन कुछ आयतें पढ़ी और पढाई जाती हैं और जब तक कुरआन शरीफ के पुरे 30 पारे खत्म नहीं हो जाते तब तक ये सिलसिला जारी रहता है

ज़कात किसे कहते हैं ?

वो लोग जिनके पास अभी पैसे नहीं हैं जो बहुत मजबूर हैं वो भी ईद की खुशियाँ मना सकें उनकी जिन्दगी में किसी किस्म की कोई कमी ना हो ऐसे लोगों के लिए इस्लाम धर्म में एक परम्परा है जिसे ज़कात कहा जाता है इसमें हर मुस्लिम इंसान को अपने साल भर की कमाई में से बचे हुए हिस्से का 2.5 प्रतिशत दान देना होता है ये एक अनिवार्य दान है हर मुस्लिम के लिए जो सक्षम हो मान लीजिये किसी मुस्लिम ने सालभर में 100 रूपए बचाए हैं तो उसे 2.5 रूपए किसी ग़रीब को दान देना होगा

खैरात किसे कहते हैं ?

ख़ुदा ने बहुत ऐसे लोग हैं जिन्हें बहुत कुछ दिया है जो दूसरों की तकलीफों को भी दूर कर सकते हैं और वहीँ ऐसे लोग भी आपको इसी दुनिया में देखें को मिल जायेंगे जिनके पास खाने तक के लिए पैसे नहीं होते ऐसे लोगों के लिए ही खैरात की परम्परा शुरू की गई इस्लाम में ये एक कोई ज़रूरी नहीं है की आपको खैरात करना ही है ये आपकी मर्ज़ी पर निर्भर करता है

फ़ितरा क्या है ?

जैसे ही ईद का चाँद नज़र आ ज्जता है उसके बाद परिवार के सभी सदस्यों की संख्या के हिसाब से उनके द्वारा खाए जाने वाले मुख्य भोजन का एक तिहाई हिस्सा गरीबों में बंटाना ज़रूरी होता है या तो आप अनाज दें उन्हें या फिर उस समय उसकि बाज़ार भाव के बराबर पैसे दें इसे फ़ितरा कहा जाता है

रमज़ान में बरसती हैं अल्लाह की नेमतें

मुसलमानों में ऐसी मान्यता है की रमज़ान Ramzan के महीने में अल्लाह जन्नत के दरवाज़े खोल देता हैं वो अपने रोज़ेदार बन्दों की हर जायज़ मांग को पूरा करता है वोकेहता है जो मुझसे दुआ करेगा मैं उसकि मांग पूरी करूँगा, अल्लाह इस महीने में शैतान को क़ैद कर देता है रमजान के महीने में ही अल्लाह ने कुरआन नाजिल की, जिसमें जीवन जीने के तरीके बताए गए हैं. यह महीना सुकून और सब्र का महीना है. रमजान में अल्लाह की खास रहमतें बरसती हैं. अगर इस्लाम समुदाय का व्यक्ति रमजान के नियमों का पालन करता है तो अल्लाह उसके पिछले सभी गुनाह माफ कर देते हैं. साथ ही, इस महीने में की गई इबादत और अच्छे काम का 70 गुना पुण्य अल्लाह देते हैं.

ईद कब मनाई जाती है ?

जैसे ही रमज़ान का महिना शुरू होता है मुसलमान रोज़े रखते हैं सारा महिना इबादत में गुज़र देते हैं फिर जब 29 वें दिन या 30 वें दिन जब चाँद नज़र आ जाये तब रोज़े खत्म हो जाते हैं और दूसरी सुबह ईद मनाई जाती है

कैसे मनाई जाती है ईद ?

पुरे रमज़ान के महीने रोज़े रखने के बाद वो सुबह आती है जिसको मुसलमान अपने एक महीने की मेहनत का इनाम समझते हैं यानी ईद का दिन इस दिन सुबह सबेरे उठकर नहा कर नए कपडे पहन कर पुरुष ईदगाह या फिर मस्जिद में जाकर सभी के साथ ईद की नमाज़ पढ़ते हैं उसके बाद वो घर लौटते हैं अपने दोस्तों और रिश्तेदारों से मिलने उनके घर जाते हैं जहाँ उनका सेवईयों और तरह तरह के पकवानों के साथ स्वागत होता है और ये सिलसिला दिनभर चलता रहता हैं लोग एक दुसरे को गले मिलकर ईद की मुबारकबाद देते हैं

रमज़ान 2023 में कब शुरू हो रहा है ?

जैसा जकी आपको पता हो की मुस्लिम चाँद के हिसाब से अपने दिनों की गणना करते हैं तो ऐसा मन जा रहा है की रमज़ान का चाँद भारत में 23 मार्च की शाम नज़र आएगा यानी 24 मार्च से रमज़ान शुरू हो जायेंगे इसके साथ शुरू होगा रोज़े का एक महिना लम्बा सफ़र

रमज़ान Ramzan से जुड़े हुए कुछ अन्य सवाल F & Q

रमज़ान क्या है ?

इस्लामिक कैलेंडर के 9 वें महीने को रमज़ान कहा जाता है बहुत से लोग इसको रमादान भी कहते हैं मगर वो सिर्फ एक उच्चारण की बात है इस महीने की ख़ासियत ये है की इसी महीने में क़ुरान (मुस्लिम धर्म ग्रन्थ) नाज़िल (अवतरित) थी अब आपको पता चल गया होगा की क्यों खास होता है रमज़ान का महिना मुसलमानों के लिए

रमज़ान Ramzan 2023 में कब शुरू हो रहा है ?

जैसा जकी आपको पता हो की मुस्लिम चाँद के हिसाब से अपने दिनों की गणना करते हैं तो ऐसा मन जा रहा है की रमज़ान Ramzan का चाँद भारत में 23 मार्च की शाम नज़र आएगा यानी 24 मार्च से रमज़ान शुरू हो जायेंगे इसके साथ शुरू होगा रोज़े का एक महिना लम्बा सफ़र

सेहरी किसे कहते हैं ?

रमजान Ramzan के महीन में इस्लाम धर के अनुयायी रोज़े रखते हैं जिससे पहले उन्हें कुछ खाने की अनुमति होती है सूर्योदय से पहले फ़ज़र की नमाज़ की अज़ान तक खाया जा सकता है जिसे सेहरी कहा जाता है सेहर का शाब्दिक अर्थ होता है सुबह इस लिए भी रोज़े रखने से पहले खाने की क्रिया को सेहरी कहा जाता है

इफ़्तार क्या होता है ?

सहरी के बाद रोज़ेदार कुछ भी खा पी नहीं सकता उसको दिन भर सिर्फ इबादत में गुज़ारनी होती है सबके साथ अच्चा सलूक करना होता है ऐसा नहीं की आप एक महीने के लिए ऐसा करते हैं येएक महिना रमज़ान का आपको एक अच्छा इंसान बनने में भी मदद करता है आपको सभी ताः की बुराइयों से दूर रखता है रमज़ान Ramzan का ये पवित्र महीना
दिन भर रोज़ा रखने के बाद रोज़ेदार को इंतज़ार होता है मग़रिब की नमाज़ के अज़ान का जैसे ही कानों पर अज़ान की मधुर आवाज़ पड़ती है सभी रोज़ेदार खजूर और कुछ मीठा खाकर अपना रोज़ा खोलते हैं जिसे इफ़्तार कहा जाता है

ईद कैसे मनाई जाती है ?

पुरे रमज़ान Ramzan के महीने रोज़े रखने के बाद वो सुबह आती है जिसको मुसलमान अपने एक महीने की मेहनत का इनाम समझते हैं यानी ईद का दिन इस दिन सुबह सबेरे उठकर नहा कर नए कपडे पहन कर पुरुष ईदगाह या फिर मस्जिद में जाकर सभी के साथ ईद की नमाज़ पढ़ते हैं उसके बाद वो घर लौटते हैं अपने दोस्तों और रिश्तेदारों से मिलने उनके घर जाते हैं जहाँ उनका सेवईयों और तरह तरह के पकवानों के साथ स्वागत होता है और ये सिलसिला दिनभर चलता रहता हैं लोग एक दुसरे को गले मिलकर ईद की मुबारकबाद देते हैं

2023 में ईद कब मनाई जाएगी ?

30 दिन रोज़े रखने के बाद रमज़ान का महीना खत्म होते ही ईद की नमाज़ पढ़ी जताई है और इस तरह ईद मनाई जाती है इस साल 2023 में ईद 22 अप्रैल के दिन पुरे भारत में मनाई जायेगी

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