मैसूर के शासक टीपू सुलतान के बारे में कौन नहीं जानता उन्ही के ख़ानदान से रिश्ता था, नूर इनायत ख़ान Noor Inayat Khan का जो बाद में जाकर एक बहुत बड़ी जासूस बनी। वो उस वक़्त ऐसा करने वाली पहली मुस्लिम और एशिया मूल की भारतीय थीं, इनके पिता भारत के और माँ एक अमरीकी थीं।
नूर का जन्म 1 जनवरी 1914 के दिन मॉस्को में हुआ था, वो दौर था की जब दुनियाँ विश्वयुद्ध के कदमों की आहट सून रही थी और सेहमी हुई थी। नूर के पिता अपने परिवार के साथ रूस में रह रहे थे मगर हालत बिगड़ते देख वो वहां से ब्रिटेन गए फिर वहां से बाद में फ़्रांस में जाकर बस गए।
उनके पिता का नाम इनायत ख़ान था, और उनकी माँ का नाम अमीना बेग़म था। इनायत ख़ान साहब एक सूफीवादी इंसान थे उन्होंने भारतीय सूफीवाद को पश्चिमी देशों में फ़ैलाने में काफी मदद की,उनको किताबों और संगीत का बहुत शौक था, जो की बाद में नूर में भी आ गया। वो भी संगीत बहुत पसंद किया करती थीं वो हार्प और पियानों बहुत अच्छे से बजाय करती थीं।
ना सिर्फ उनको संगीत का शौक था, उन्हें पढ़ने लिखने का भी उतना ही शौक था वो अपना सारा समय पढ़ने लिखने में लगाया करतीं थीं। और उससे जो समय मिल जाता तो वो पियानो बजाय करती थीं, उनको बहुत सी भाषाएँ आती थीं हिंदी उर्दू तो खानदान से आई थीं। उनमें इसके अलावा वो इंग्लिश स्पेनिश और फ्रेंच भी अच्छे से जानती थी।
स्पेशल ऑपरेशंस एग्जीक्यूटिव SOP Noor Inayat khan
सन 1940 में नूर इनायत ख़ान Noor Inayat Khan अपने पुरे परिवार के साथ फ़्रांस में आ कर बस गए थे, ज़िन्दगी आराम से गुज़र रही थी मगर ऐसा बहुत दिनों तक नहीं हो सका। राजनैतिक उथलपुथल का शिकार हो गया फ़्रांस जिसके चलते इनायत ख़ान को अपने ख़ानदान के साथ ब्रिटेन में शरणार्थी बनकर रहना पड़ा।
ब्रिटेन ने नूर के ख़ानदान को शरण दी थी, नूर को ये बात बहुत असर करती थी वो कुछ करना चाहती थीं ब्रिटेन के लिए, ये सोच लेकर वो WAAF ( Women’s Auxiliary Air Force) में भर्ती हो गईं। वो एक वोलेंटियर के तौर पर आई थीं यहाँ, जहां उन्हें Wirless Oprator की ट्रेनिंग दी गई, उनकी भाषाओँ में अच्छी पकड़ को देखते हुए यहाँ उन्हें नूर बकर (NOOR BAKAR) के नाम से पुकारा जाता था।
सन 1943 में जब नूर ने अपनी ट्रेनिंग पूरी कर ली तब उनको स्पेशल ऑपरेशंस एग्जीक्यूटिव SOP बन गईं, ये संस्था वैसा ही काम करती थी जैसा भारत में RAW काम करता है। उन्हें फ़्रांस का सेक्शन मिला वो ऐसी पहली एशियाई मूल की मुस्लिम महिला थीं जिसे SOP बनाया गया था। उनका चयन किया गया था फ़्रांस जाने के लिए और वहां से ब्रिटेन के लिए जानकारियां इकट्ठी कर भेजना था, काम बहुत मुश्किल और खतरनाक था मगर उन्होंने एक पल को भी नहीं सोचा और वो चली गईं।
सूफीवादी नूर और जासूसी
नूर इनायत ख़ान Noor Inayat Khan एक सूफीवादी थे इस नाते नूर भी सूफीवाद का पूरी तरह से पालन किया करती थी, जैसे झूठ नहीं बोलना हिंसा का कभी भी किसी हालत में साथ नहीं देना, ये सब ऐसे सिद्धांत थे जो नूर को एक जासूस की तरह नहीं साबित करते थे। उनके साथ ट्रेनिंग लेने वाले और उनको ट्रेनिंग देने वाले कहा करते थे की, तुम यहीं ब्रिटेन में रह कर काम करों क्योंकि एक जासूस के तौर पर तुम्हे बहुत कुछ ऐसा करना होगा जो की तुम्हारे सूफीवादी सिद्धांतों के हिसाब से गलत होंगे। जैसे झूठ बोलना वक़्त पड़ने पर हथियार उठाना किसी की हत्या करना आदि मगर नूर ने सब पूर्वाग्रहों से खुद को ऊपर उठया और चल पड़ीं फ़्रांस और खुद को उन्होंने साबित भी कर के सबको दिखाया अपने फ़र्ज़ को अच्छे से निभाया।
फ़्रांस के मोर्चे पर SOP नूर इनायत ख़ान
देखते देखते वो घडी आ गई नूर ने अपने आपको फ़्रांस में पाया। वहां वो एक बच्चों के नर्स के तौर पर काम करने लगी थीं। वहां के लोग उन्हें जिन मैरी रैनियर के नाम से जानते थे। वहां वो ऐसी रच बस गई थी की पहचानना मुश्किल था की वो नूर हैं की जिन मैरी उनका Code Name Maidleen था। वो फ़्रांस के मोर्चे पर थीं ब्रिटेन की SOP के तौर पर इस बात का उनको बहुत गर्व था।
उस ज़माने में जर्मनी की पुलिस “गेस्टापो” इलेक्ट्रॉनिक सिग्नल का उपयोग करती थी, जिसे नूर अच्छे से पहचान लिया करती थी। उनकी ये खासियत ही उनकी दुश्मन साबित हो सकती थी फ़्रांस में ब्रिटेन में लोग समझते थे की, इस तरह का काम करना फ़्रांस में बहुत खतरनाक हो सकता है और जिसकी वजह से नूर 15 दिन से ज़्यादा जीवित नहीं रह सकेंगी वहां।
बच्चों के नर्स के तौर पर काम करते करते उनका असल काम था की, वो फ्रांस से खुफिया जानकारियां इकट्ठी करें और ब्रिटेन भेजें ताकि वहां के अधिकारी उनका विश्लेषण कर कोई योजना बना सकें। ब्रिटेन के बहुत सारे वायुसेना के कर्मचारी और जासूस जो फ़्रांस में फंस गए थे, उन्हें चोरी छुपे वापस ब्रिटेन भेजना उनका मुख्य काम था।
नूर एक बहुत होशियार और बहादुर महिला थीं, एक वक़्त ऐसा आया की सारे ब्रिटेन के जासूस गिरफ्तार कर लिए गया वहां का माहौल ख़राब होते देख ब्रिटेन से सन्देश आया की सरे जासूस वापस आ जाएँ। जो गिरफ्तार नहीं हुए थे वो सारे वापस चले गए मगर नूर ने वहीँ रहने का फैसला किया। और अपना काम करती रही कई बार वो पकड़ाते पकड़ाते बच जाती थी, हालत बहुत ख़राब हो रहे थे वहां।
ऐसी अन्य रोचक जानकारियों और व्यक्तित्व के बारे में जानने के लिए यहाँ क्लिक करें
नूर की गिरफ्तारी की वजह
शायद नूर इनायत खान Noor Inayat Khan कभी भी ना पकड़ी जातीं, मगर एक लड़की की नादानी बनी उनकी गिरफ़्तारी की वजह बात ऐसी थी की, नूर के साथ एक अधिकारी काम किया करता था जो नूर से प्यार किया करता था। मगर नूर के दिमाग में कुछ और ही धून सवार रहती थी। वो इन सब बातों में आपने ध्यान नहीं देना चाहती थी, वो अधिकारी जो नूर से प्यार करता था उससे एक लड़की प्यार क्या करती थी जो नूर को अपना दुश्मन समझती थी। उसी लड़की ने 13 अक्टूबर 1943 के दिन फ़्रांसिसी अधिकारियों को नूर की असलियत बता दी, और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।
जब हट्टे कट्टे फ़्रांसिसी अधिकारी नूर को गिरफ्तार करने उनके घर में दाखिल हुए, नूर आसानी से गिरफ्तार नहीं हुई उन्होंने उन अधिकारीयों का सम्मना किया उनसे उनकी हाथ पाई हुई, मगर आखिरकार उन 6-7 अधिकारीयों ने नूर को काबू में कर अपने साथ ले गए।
दिचाऊ कंसंट्रेशन कैंप Dhachau Concentration Camp
गिरफ्तारी के बाद नूर इनायत खान Noor Inayat Khan पर बहुत सारी यातनाएं की गईं, वो लोग चाहते थे की वो अपनी सारी खुफिया जानकारियां उनको दे दे। मगर नूर की ना हिम्मत टूटी ना ही उनकी ज़बान खुली, वो चुप चाप सब सेहती रही वो चालक बहुत थीं एक बार उनको मौका मिला और वो उनके गिरफ्त से भागने में कामयाब भी हो गई मगर बदकिस्मती से वो पकड़ी गईं।
उनको फिर नाज़ियों के सबसे खतरनाक जेल जिसे दिचाऊ कंसंट्रेशन कैंप कहा जाता था वहां क़ैद कर लिया गया और उनपर और सख्तियां बरतीं गईं, मगर फिर नूर नूर थी वतन और मिटटी की वफादारी तो उनके खून में थी वो खामोश रहीं।
शहादत एक सूफीवादी जासूस की
13 सितम्बर 1944 के दिन उनको गोली मार कर शहीद कर दिया गया, जब उन्हें गोली मरने के लिए ले जाया जा रहा था तब उनके जुबां पर एक ही शब्द था “Liberte” यानी आज़ादी ।
10 महीने तक उन्हें घोर यातनाये दी गई, मगर नाज़ियों को उन्होंने कुछ नहीं बताया जब उनकी हत्या की गई थी। उनकी उम्र सिर्फ 30 साल की थी अपने फ़र्ज़ को निभाते निभाते नूर ने इस दुनियां को अलविदा कहा।
नूर कि याद में सम्मान
- इस महान जासूस की याद में ब्रिटेन में रॉयल डाक सेवा ने एक दायक टिकट जारी किया।
- 8 नवम्बर 2012 के दिन ब्रिटेन की राजकुमारी एनी ने नूर की एक ताम्बे की प्रतिमा का अनावरण किया ये पहली बार था की किसी मुस्लिम महिला और एशियाई मूल की महिला को ये सम्मान मिला ,गार्डन स्क्वायर गार्डन्स के पास उस घर के नज़दीक जहाँ नूर का बचपन बिता था वहां पर इस प्रतिमा को स्थापित किया।
- ब्रिटेन द्वारा मरणोपरांत 1949 में जॉर्ज क्रॉस सम्मान।
- फ़्रांस द्वारा सर्वोच्च नागरिक सम्मान क्रॉक्स डी गियर।
- हर साल बैस्टिल डे पर, एक बैंड फजल मंजिल या हाउस ऑफ ब्लेसिंग के बाहर बजाया जाता है
- ब्रिटेन के रॉयल मेल ने नूर का डाक टिकट जारी किया था। डाक टिकट 10 टिकटों का एक सेट था जो उनके ‘उल्लेखनीय जीवन’ श्रृंखला पर आधारित था। नूर को उनके जन्म के शताब्दी वर्ष 2014 में सम्मानित किया गया
- ब्रिटेन सरकार ने अपने 50 पाउंड के नोट पर नूर इनायत खान के फोटो जारी किया था साल 2020 में
नूर इनायत ख़ान पर लिखी पुस्तकें
- विट्विन सिल्क एंड साइनाइड : ए कोड मेकर स्टोरी
- स्पाई प्रिंसेस : द लाइफ ऑफ़ नूर इनायत ख़ान
- नूर – उन – निशा इनायत ख़ान मैडलीन
- डी वीमेन हु लिव फॉर डेंजर : डी वूमन एजेंट्स ऑफ़ एस ओ ई इन थे सेकंड वर्ल्ड वॉर
- “ए लाइफ इन सेक्रेट्स: दि स्टोरी ऑफ वेरा अटकींस एंड दि लॉस्ट एजेंट्स ऑफ एस ओ ई”
- “ऑफ एस ओ ई इन फ्रांस”
- “दि टाइगर क्लाव”
- “ला प्रिंसेज औबली”
- “ए मैन कौल्ड इट्रेप्ड”
आज हमने नूर इनायत ख़ान के बारे में क्या क्या जाना
- कौन थीं नार इनायत ख़ान
- स्पेशल ऑपरेशंस एग्जीक्यूटिव SOP नूर इनायत ख़ान
- सूफीवादी नूर और जासूसी
- फ़्रांस के मोर्चे पर SOP नूर इनायत ख़ान
- नूर के गिरफ्तारी की वजह
- दिचाऊ कंसंट्रेशन कैंप
- शहादत एक सूफीवादी जासूस की
- नूर की याद में सम्मान
- नूर इनायत ख़ान पर लिखी पुस्तकें
article source :- https://en.wikipedia.org/wiki/Noor_Inayat_Khan
उम्मीद है आज आपको गर्व महसूस हुआ होगा भारतीय मूल की इस जांबाज़ महिला की कहानी पढ़कर अगर आपको कोई सुझाव या कोई जानकारी देनी है तो आप कमेंट करके हमें बता सकते है !
कैसी लगी आपको हमारी ये जानकारी अगर आपके पास हमारे लिए कोई सुझाव है तो हमें ज़रूर कमेंट करके बताएं !
4 thoughts on “Noor Inayat Khan Ek Bhartiya British Jasoos”